विकलांगों को अभिशाप-मुक्त बनाने की जरूरत

विकलांग अब अक्षमता का पर्याय नहीं रहे। वे तमाम चुनौतियां स्वीकारते हुए अपनी दक्षता साबित कर रहे हैं। लेकिन दक्षता-कौशल के ज्यादातर प्रयास या तो वैयक्तिक हैं या इनकी महत्ता विकलांग दिवस जैसे अवसरों पर समाचार बना लेने के बाद उनका प्रकाशन व प्रसारण कर देने तक निहित है। जबकि इनकी क्षमताओं का संस्थागत इस्तेमाल […]

कहानी हैदराबाद की

सन् 1592 तक शहर के केन्द्र-बिन्दु चारमीनार, कुछ महल, मस्जिद, आशुरखाना, चार कमाने और फुव्वारा तैयार हो चुके थे। मीर मोमिन ने शहर में हरियाली पर खास जोर दिया था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए शहर का काम शुरू होने से पहले ही पौधों को रोप दिया गया था। इसलिए जब तक शहर […]

नये नेतासन

इधर योगासनों का बड़ा बोलबाला है। रोज नये-नये योगाचार्य प्रकट हो रहे हैं और इस असार संसार को नये-नये योगासनों से अभिभूत कर रहे हैं। मैंने भी नेताओं के लिए कुछ नये योगासनों का आविष्कार किया है जो नये, पुराने तथा भावी नेताओं के बड़ा काम आयेगा। उनके लाभार्थ ये आसन नीचे दे रहा हूँ। […]

एकमात्र विकल्प गांधी

संयुक्त राष्ट महासभा ने गांधी के जन्मदिन दो अक्तूबर को वैश्र्विक स्तर पर अहिंसा-दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की है। क्या इसका सीधा मतलब यह नहीं हुआ कि गांधी को उसने आज के हिंसात्मक परिवेश में अपरिहार्य तो माना ही, अंतिम विकल्प भी माना है? क्या इसका यह भी मतलब नहीं हुआ […]

निरोग समाज की बुनियाद है वैदिक स्वास्थ्य पद्घति

शुद्घ चेतना पर आधारित वैदिक स्वास्थ्य पद्घति के तहत मंत्र चिकित्सा, पंचकर्म और आयुर्वेदिक औषधियों से अपने नागरिकों का जीवन निरोग बनाकर विकासशील देश अपने स्वास्थ्य व्यय को आधे से भी ज्यादा कम कर सकते हैं। वेद प्रधान आयुर्वेद ही भारत सहित समूची दुनिया में निरोग समाज की स्थापना कर सकता है। दुःख की बात […]

मानवाधिकारों का मज़ाक है लोगों का गायब होना

एडोल्फ हिटलर के शासन में लोग गायब हो जाते थे और फिर उनके परिवार और करीबी दोस्तों तक को भी यह मालूम नहीं होता था कि वे कहां गायब हो गए या फिर बाद में कभी दिखायी क्यों नहीं दिए? दूसरे विश्र्व युद्ध के समाप्त होने के साथ ही हिटलर की तानाशाही पर भी विराम […]

सड़क पार करने की उचित व्यवस्था करें

स्थानीय नगर प्रशासन से अनुरोध है कि नेहरू जुलॉजिकल पार्क (जू) के पास यातायात पर नियंत्रण की उचित व्यवस्था करें। गौरतलब है कि जू-पार्क के मुख्य गेट पर चिड़ियाघर के अन्दर जाने वाले लोगों का तॉंता अक्सर लगा रहता है और यहॉं आने वाले तमाम वाहन, सवारियों को सड़क पर ही उतार देते हैं। ऐसे […]

जनता ध्यान दे

कोई भी सरकार नहीं चाहती कि देश में महंगाई बढ़े और जन-साधारण की रोजमर्रा की हालत खस्ता हो जाये। विपक्ष सरकारी नीतियों को महंगाई का कारण बताकर आये दिन बंद, जाम, हड़ताल, रैलियों आदि के आयोजन करवाकर सामान्य जन की सहानुभूति बटोर कर यह दर्शाने का प्रयास करता है कि उसे जनता को त्रासदियों से […]

घाटी में कानून-व्यवस्था बहाल करें

कश्मीर घाटी में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। जो खबरें आ रही हैं, उनके अनुसार यही लगता है कि यह सब राजनीतिक पार्टियों की कारस्तानी है ताकि अमरनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक तंग किया जा सके। वजह चाहे जो भी हो, यह हमारी केन्द्र एवं राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती […]

मुनाफाखोर व्यापारियों और आम ज़रूरतमंदों की पहचान का मापदंड हो

आम तौर पर लोगों के पास जब पैसे होते हैं तो वह जमीनों में लगाना पसंद करते हैं। जमीन चाहे शहर-गांव के किसी भी कोने में हो, एक-न-एक दिन उसके भाव तो बढ़ने ही हैं। कुछ लोग यह सोच कर पैसा लगाते हैं तो कुछ लोग अंततः अपने लिए एक अदद आशियाने की चाहत में […]