अनकहीद

रिक्शे की प्रतीक्षा करती हुई उसे प्रियंवदा आंटी खड़ी दिखाई दीं। उसने प्रणाम किया और अपने आने का कारण बता कर पूछा, “”आंटी, आशा कैसी है, अब तो उसने बी.ए. कर लिया होगा।” “”नहीं धरम, इसी वर्ष उसने इंटरमीडिएट पास किया है। तुम्हें बहुत याद करती है। चलो, उससे मिलकर चले जाना।” “”आज नहीं आंटी, […]

लालच बुरी बला

बहुत समय पहले की बात है। एक गॉंव में किशन नाम का एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह हर रोज पास के जंगल से लकड़ियॉं काट कर लाता। फिर वह उन लकड़ियों को बेचने के लिए पास के नगर में जाता। गॉंव में और लकड़हारे भी थे। इसलिए उसकी सभी लकड़ियॉं नहीं बिक पाती थीं। […]

मैं ना भूलूंगा

मैं आज तक यह नहीं समझ पाया कि वह मेरी ज़िन्दगी का सबसे सौभाग्यशाली दिन था या मनहूस। शाम के पॉंच बजने वाले थे। लगभग सभी लड़कियॉं ट्यूशन पढ़ने के लिए आ चुकी थीं। मैंने बोर्ड पर कुछ लिखने के लिए व्हाइट बोर्ड मार्कर उठाया ही था कि मेरे कानों में एक अपरिचित, लेकिन मधुर […]

अनकही

ठीक छः वर्ष पश्र्चात धर्मेश आज फिर उसी रेलवे प्लेटफार्म पर अटैची हाथ में लिये टेन से उतरा था, जहां से अंतिम परीक्षा देकर अपने गांव लौटा था। बीते छः वर्षों में उसने कई जगह काम किए, लेकिन कहीं भी टिक न सका। इस महानगर से वह परिचित था। कई परिवारों से उसके अच्छे संबंध […]

मैं आऊँगी नाजिमा

कई दिनों की लगातार बरसात के बाद कुदरत आज कुछ मेहरबान थी। धीरे-धीरे सूरज की किरणें धरती पर बिखरने लगी थीं। पहाड़ी क्षेत्र और ऊपर से सप्ताह भर की बरसात ने ठंड से सबका बुरा हाल कर दिया था। खिली धूप देखकर सबके चेहरे चमक उठे थे। जम्मू-कश्मीर का यह द्रास इलाका था। द्रास से […]

नियति का बदला

शालू अपने सामने बैठे राजेश को ध्यान से देख रही थी। उसे राजेश की आँखों में कुछ अलग-सा सम्मोहन महसूस हो रहा था। वह सोच रही थी कि यही वो आँखें हैं, जो उसे हमेशा सपने में दिखाई देती हैं। अब उसे सब कुछ याद आने लगा। बाईस वर्ष पहले के राजेश और आज के […]

बदलाव

स्कूल के वार्षिकोत्सव की भीड़-भाड़ से जब मैं बाहर निकला, तब विनीत भाव से हाथ-जोड़कर खड़े पं. गेंदालाल को मैं कुछ देर तक पहचान नहीं पाया। बीस साल का अरसा काफी बड़ा होता है। फिर इस रूप में मैं कभी पं. गेंदालाल की कल्पना नहीं कर सकता था। उनके सिर और दाढ़ी के बाल खिचड़ी […]

फूलां

सत्य कहूँ, उसने मुझे कोहनी से पकड़ लिया था। “”आपने मेरे रांझू को तो नहीं देखा? कहॉं होगा मेरा रांझू? परदेसी बाबू! आपने जरूर देखा होगा?” किसी युवती का स्पर्श मुझे कंपा गया था। मैं थोड़ी देर के लिए घबरा गया था। वह युवती कोई बीस बरस की रही होगी। लंबे बाल, अस्त-व्यस्त कपड़े। किसी […]

जंगल की हवा

अभी पूरी तरह से सुबह हो भी नहीं पायी थी कि बड़े साहब ने फॉरेस्टर साहब का दरवाजा बजा दिया। फॉरेस्टर साहब ने दरवाजा खोला और सामने अपने एमडीओ को देखा तो तुरंत सेल्यूट मारा और पूछा, “”सर कोई अर्जेन्ट काम है?” “”हॉं पुरी, हम सोच रहे थे आज तुम्हारे कूप में चलकर थोड़ा दौरा […]

समाज सेवा

इस बड़े शहर में टांसफर हुआ तो मन में एक उत्साह-सा जागा, चलो पहली बार किसी बड़े शहर में रहने को मिलेगा। रुकी-सी जिंदगी और इच्छाओं को शायद कोई नयी दिशा मिल जाये। सोशल वर्क में मास्टर डिग्री यूं ही अलमारी में बंद पड़ी है। बचपन से एक इच्छा थी कि दूसरों के दुःख-दर्द बांटूं। […]