मतदाताओं की राजनेताओं से अपेक्षा

Indian Voters Expectations for Leadersहाल ही की बात है। मेरे एक पड़ोसी मित्र का देहान्त हो गया। दोपहर को बारह बजे अर्थी उठने को थी। तभी मित्र का मोबाइल फोन बज उठा। सांसद महोदय का सन्देश था कि वे अभी थोड़ी दूर एक अन्य अन्त्येष्टि में भाग ले रहे हैं। आधे घंटे में यहॉं पहुँच जाएंगे। उनके आने पर ही अर्थी उठाएं। अर्थी उठाने में विलंब करने से कई असुविधाएं उत्पन्न हो सकती थीं। पर सांसद की बात माननी भी तो थी।

अंत्येष्टि क्रिया में और शादी-ब्याह में स्थानीय नगर निगम पार्षद, महापौर, विधायक और सांसद की उपस्थिति प्रतिष्ठावर्द्धक मानी जाती है। एक बार एक पार्षद मित्र ने मुझसे कहा, “आज नगर निगम की वित्त उप समिति की बैठक है। कुछ महत्वूपर्ण मुद्दों पर निर्णय लेना है पर उसमें मैं भाग नहीं ले पाऊंगा। पॉंच शादियों में भाग लेना है। यदि किसी एक में नहीं जाऊं तो लोग बुरा मानेंगे। अगली बार भी तो उनसे वोट मांगने जाना है न।’

कहीं किसी स्कूल का वार्षिकोत्सव है। कहीं साहित्यिक संगोष्ठी है। कहीं किसी होटल का उद्घाटन समारोह है। कहीं खेलकूद प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण समारोह है। हर कार्यक्रम के आयोजक स्थानीय सांसद, विधायक या नेताजी की भी उपस्थिति चाहते हैं, उद्घाटक के रूप में, अध्यक्ष के रूप में या विशिष्ट अतिथि के रूप में। यह तो आम मतदाताओं की बात हुई। मतदाताओं में प्रबुद्ध वर्ग भी है जो इस बात की अद्यतन जानकारी प्राप्त करता है कि सांसदों, विधायकों को राज्य की ओर से कौन-कौन-सी आर्थिक और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं और बदले में वे देश की कितनी सेवा करते हैं। प्रबुद्ध वर्ग जानता है कि अंत्येष्टियां, शादी-ब्याहों और मामूली समारोहों के उद्घाटन में भाग लेने से सांसदों, विधायकों के बहुमूल्य समय का अपव्यय होता है। यह वर्ग इस बात का लेखा-जोखा रखता है कि संसद के हर सत्र में एक-एक सांसद ने कितनी भूमिका निभाई। मेरे एक वकील मित्र ने हाल ही में वार्तालाप के बीच मुझसे कहा, “इंग्लैण्ड में संसद के दो सदन हैं- उच्च सदन और निम्न सदन। निम्न सदन में ऐसे सदस्य भी रहते हैं जो उच्चशिक्षा प्राप्त या उच्च श्रेणी के मनीषी नहीं कहे जा सकते। संसद का मुख्य कार्य विधि निर्माण करना है जो उच्च बौद्धिक कार्य है। इसी दृष्टि से वहॉं उच्च सदन में ऐसे सदस्यों का नामांकन होता है जो उच्च शिक्षा प्राप्त हों, प्रखर बुद्धि वाले हों, प्रतिभावान हों।’ परंतु हमारी राज्यसभा के संबंध में ऐसी सोच अभी नहीं हो पायी है।

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