रीयल एस्टेट म्युच्युअल फंड कम रिस्क में ज्यादा कमाई

रीयल एस्टेट म्युच्युअल्स फंड(रैम्फ) की बदौलत यह संभव हो सका है कि जबरदस्त मुनाफा कमाने के लिए अब हर कोई रीयल एस्टेट बूम का प्रयोग कर सकता है। रीयल एस्टेट पर जो मोटा मुनाफा मिलता है, उसका लाभ उठाने के लिए आपको वास्तव में प्रॉपर्टी खरीदने की आवश्यकता नहीं है। आप रीयल एस्टेट म्युच्युअल फंडस् का रास्ता अपना सकते हैं।

Real Esatate Mutual Fundsरैम्फ का सबसे बड़ा फायदा यह है कि फुटकर निवेशक रीयल एस्टेट के क्षेत्र में हिस्सा ले सकते हैं। वेन्चर कैपिटल फंडस् के संदर्भ में न्यूनतम निवेश लगभग एक करोड़ रुपये का होता है। लेकिन रैम्फ में अनुमानित न्यूनतम निवेश तकरीबन 10,000 रुपये का है। इस तरह अपनी पोर्टफोलियो को विभिन्न आयाम प्रदान करने के लिए फुटकर निवेशकों के पास निवेश का एक और विकल्प हो जायेगा।

संस्थागत निवेशकों को एक अच्छा एक्जिट विकल्प मिल जायेगा, क्योंकि वह अपने असैट्स को रैम्फ में ट्रांसफर कर सकते हैं। एक असैट वर्ग के तौर पर रीयल एस्टेट रिस्क को एडजस्ट करने का शानदार विकल्प है, साथ ही इसका अन्य असेट वर्गों के साथ कम परस्पर संबंध है।

फुटकर निवेशकों के पैसे के जरिये रीयल एस्टेट क्षेत्र को पूंजी एकत्र करने का एक अतिरिक्त स्रोत मिल जायेगा। कंपनियों का ऑपरेशन अधिक पारदर्शी व जिम्मेदारी भरा हो जायेगा।

अब सवाल यह है कि निवेशक कितने मुनाफे की उम्मीद कर सकते हैं? यू. एस. आर. ई. आई. टी. ने जबरदस्त मुनाफा दिया है और अन्य असेट वर्गों से कम परस्पर संबंध दर्शाया है, जिससे निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो के खतरे को संतुलित करने का अवसर मिला है। इसने दिसंबर 1993 से जनवरी 2003 की अवधि में (मोर्गन स्टैनले आर. ई. आई. टी. इन्डैक्स) वार्षिक आय औसतन 6.96 प्रतिशत की दर्शायी और जून 1993 से जून 2003 तक औसत वार्षिक कुल रिटर्न 10.1 प्रतिशत की थी।

लेकिल रैम्फ में रिस्क का तत्व भी मौजूद है, क्योंकि असेट प्रॉपर्टी है। बहरहाल, रिस्क काफी हद तक कम हो जाता है, क्योंकि अलग-अलग किस्म के अनेक निवेश किये जाते हैं। यकीनन यह डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंडस् से अधिक रिस्की है, क्योंकि रैम्फ सिर्फ एक ही क्षेत्र पर फोकस करते हैं- रीयल एस्टेट।

सेबी नियमों के अनुसार रैम्फ क्लोज़-एन्डिड फंड्स होंगे। नतीजतन, आपके पास यूनिट्स को वापस फंड को बेचने का विकल्प नहीं होगा। आप सिर्फ बदले में ही यूनिट्स बेच सकते हैं। निवेश का समय फंड की अवधि के बराबर होगा। साथ ही रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट्स लंबे चलते हैं, इसलिए बेहतर यही रहेगा कि लंबे समय के लिए निवेश किया जाये।

फंड के काम करने का तरीका यह है कि निवेश किया जाता है रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट्स, मोर्टगेज्ड आधारित सिक्युयरिटीज, इक्विटी, डेब्ट और रीयल एस्टेट कंपनियों के डिबेंचर में। उन्हें किराये और दाम बढ़ने के तौर पर प्रॉपर्टियों से मुनाफा होगा। उन्हें रीयल एस्टेट कंपनियों से ब्याज, डिविडेंड और शेयर मूल्य में वृद्धि से भी आय होगी।

अगर आप स्थायी व नियमित आय चाहते हैं तो ऐसे फंड का चयन करें, जो अपना ज्यादातर पैसा स्थिर किराया उत्पादन प्रॉपर्टी में निवेश करता है। अगर आपको जल्दी से मुनाफा चाहिए तो उस फंड का चयन करें, जो विकास प्रोजेक्ट के शुरूआती दौर में निवेश करता है। बहुत महत्वपूर्ण है कि फंड विभिन्न क्षेत्रों, जैसे- दफ्तर, रीटेल और रिहायशी क्षेत्रों में निवेश करता हो। मसलन, दुनिया भर में कार्यालय क्षेत्र मशहूर है अपनी स्थायी आय के कारण, जबकि रीटेल को आक्रामक समझा जाता है। रैम्फ क्लोज़ एंडिड हैं, इसलिए आप को फंड की अवधि पर विशेष गौर करना चाहिए। यह आपकी निवेश की क्षमता के अनुसार होना चाहिए।

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