सिक्किम रुबर्ब – पौधा या ग्रीन हाउस

एक अनोखा पौधा, शंक्वाकार, नाज़ुक, भूरे रंग का, चमकदार, पारदर्शी पत्तों वाला! विशेषता यह कि पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव से अपने बचने की व्यवस्था स्वयं करता है। इसके पत्ते जैसे दिखने वाले ब्रैक्ट्स एक-दूसरे पर झुके होते हैं। ऊपर के ब्रैक्ट्स गुलाबी रंग के किनारे लिए होते हैं।

इन्हीं छाते के समान ब्रैक्ट्स में होता है कमाल, जो बचाता है पौधे के पत्तों, तने और फूलों को। ऊँचाइयों पर विकिरण का खतरा ज्यादा रहता है, इसलिए सबसे खास हैं इसके ब्रैक्ट्स, जिनमें पराबैंगनी प्रकाश को रोकने की क्षमता होती है। पर ये प्रकाश संश्र्लेषण के लिए दृश्य प्रकाश को आने देते हैं। इस प्रकार बढ़ते हुए फूलों और नाज़ुक तने की रक्षा पराबैंगनी किरणों से करते हैं। सभी ब्रैक्ट्स में क्चेरसेटिन फ्लैवोनोइड्स होते हैं जो पराबैंगनी विकिरणों को रोकने में सहायक हैं। पत्ते बड़े, पारदर्शी, लाल डंठल व शिराओं वाले होते हैं। इसके फूल हरे होते हैं। यह पौधा है नोबल रुबर्ब या सिक्किम रुबर्ब (रीयम नोबाइल), जो मूल रूप से हिमाचल की विशालकाय झाड़ी है और अफगानिस्तान, पूर्व और उत्तर पाकिस्तान तथा भारत, नेपाल, सिक्किम, भूटान और दक्षिण-पश्चिम चीन (झिजांग) से लेकर म्यांमार में पाया जाता है। यह अल्पाइन जोन पर 4000-4800 मीटर ऊँचाई पर भी पाया जाता है।

सिक्किम रुबर्ब, रुबर्ब की विशिष्ट प्रजाति है जो 1-2 मीटर लंबी होती है और घाटियों में दूर से दिखती है। इसे ग्लास हाउस भी कहते हैं क्योंकि इसकी पत्तियों जैसे दिखने वाले ब्रेक्ट्स पारदर्शी होते हैं और इनमें से प्रकाश आरपार जा सकता है। आश्चर्यजनक रूप से ये ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करते हैं और साथ ही पराबैंगनी प्रकाश को रोकते हैं। इस प्रकार से यह बढ़े हुए पराबैंगनी एक्सपोजर तथा अत्यधिक ठंड से अपना बचाव करता है। इसकी जड़ें 1-2 मीटर लंबी और मनुष्य की बाहों जैसी मोटी होती हैं। इसके तने में अम्ल होता है, जिसका चरपरा स्वाद लोगों को बहुत भाता है। इसे स्थानीय भाषा में “चुका’ कहते हैं। खोखले तने में द्रव भरा होता है। फूल आने पर तने की लंबाई बढ़ जाती है। ब्रेक्ट्स भी एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं और इनका रंग लाल-भूरा हो जाता है। जैसे ही इसके फल पकते हैं, सारे ब्रेक्ट्स गिर जाते हैं और तने पर लटके हुए गहरे भूरे रंग के फल बेहद खूबसूरत लगते हैं। यह सिक्किम के अल्पाइन पौधों में से एक है। इसके तने को लोग शौक से खाते हैं। जहां ये प्रचुर मात्रा में उगता है वहां सब्जी की तरह भी प्रयोग में लाया जाता है।

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