जासूसी के लिए स्त्रियों की जरूरत

lady-detectiveमरिया कुंथ बहुत ही आकर्षक जर्मन अभिनेत्री थी। हेंको कुंजे उसका पति था। किसी कारणवश ऐसा संयोग हुआ कि वह जासूसी के जाल में फंस गयी। जासूसी का यह जाल बर्लिन में सोवियत जासूसों द्वारा फैलाया गया था, जिसका मुखिया पोलैंड का एक भूतपूर्व सैन्य अधिकारी कर्नल ग्रेवर कोवल्स्की था। भूतपूर्व सैन्य अधिकारी कला का इतिहासकार था और प्राचीन ऐतिहासिक वस्तुओं की दुकान चलाता था। इस दुकान पर मरिया कुंथ भी उसकी मदद करती थी।

मरिया को जासूसों द्वारा यह काम सौंपा गया था कि वह ब्रिटिश और अमेरिकी अधिकारियों को, जो दुकान पर आएं, अपने सौंदर्य-जाल में फंसाकर शयन-कक्ष तक ले जाए, जिससे उन्हें ब्लैकमेल किया जा सके। इस काम के लिए जासूसी जाल ने कोलोन के निकट लव-नेस्ट विला और फ्रेंकफर्ट में एक अपार्टमेंट भी ले रखा था। मजेदार बात यह कि हेंको कुंजे को भी अपनी पत्नी की इन गतिविधियों का पता नहीं चल सका और जब पता चला कि उसकी पत्नी जासूसों के जाल में फंसकर एक तरह से वेश्या बन चुकी है, तब उसने आत्महत्या कर ली।

कोवल्स्की मरिया के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त करना चाहता था कि जर्मन सेना का जो पुनर्गठन हो रहा है, उसकी योजना क्या है? पश्र्चिमी जर्मनी के जासूसों को इस बात की भनक लग गयी और उसने दोहरे जासूस डॉ. पेटरसन को मरिया के पीछे लगा दिया। अंत में एम 15 के ब्रिटिश गुप्तचर मरिया को रंगे हाथ पकड़ने में सफल रहे, जिससे रूसी जासूसी-तंत्र का पर्दाफाश हो गया। क्योंकि मरिया कैंसर की मरीज थी, इसलिए उसे केवल तीन वर्ष की सजा दी गयी, लेकिन वह दो वर्ष बाद ही जेल के अस्पताल में कैंसर से मर गयी।

स्त्री जासूसों में सबसे महत्वपूर्ण जासूस इजरायल की “अदा’ है। अदा उसका सांकेतिक नाम है। वह इसी नाम से जानी जाती है। उसने मिस्र में रहकर इजरायल के लिए बहुत ही उपयोगी जासूसी की और पकड़ी नहीं गयी। उसके संबंध बड़े-बड़े अधिकारियों से थे और राष्ट्रपति कर्नल नासिर से तो उसके दोस्ताना संबंध थे।

फ्रांस के गुप्तचर संगठन ने रोमानिया की एक बेहद सुन्दर स्त्री को अपना जासूस बनाया था, जिसका सांकेतिक नाम येवेटी था। वह रोमानिया में सरकारी कर्मचारी थी और उसके संबंध बड़े-बड़े अधिकारियों तक थे। वह उन्हें अपनी बातों में फंसाकर बातें  उगलवा लेती थी। उस समय जो बातें होती थीं, वह उसके बालों में लगे हेयरपिन रेकॉर्डर में रिकॉर्ड हो जाती थी, जिन्हें वह बाद में फ्रांसीसी गुप्तचरों को सौंप देती थी।

ब्रिटेन ने अपनी एक जासूस चीन भेजी थी। उसका कोड नाम लोटस ब्लोसम था। वह चीन जाकर माओत्से तुंग की अनुयायी बन गयी और उसने माओ की रेड बुक का एक-एक शब्द रट लिया था और उसके प्रचार-प्रसार में लग गयी। इस तरह वह एक विश्र्वसनीय कम्युनिस्ट बनकर उस पार्टी में महत्वपूर्ण पद हासिल करने में कामयाब हो गयी थी।

नूर इनायत खां अमेरिकी मां और भारतीय पिता की रूस में जन्मी संतान थी। युद्ध के दौरान वह इंग्लैंड चली गयी। वहां उसे ब्रिटेन ने अपने जासूसी मिशन “स्पेशल ऑपरेशन एक्जीक्यूटिव’ की एजेंट बनाकर फ्रांस भेजा। उसने बड़ी ही विकट परिस्थितियों में अपना काम काफी लंबे समय तक जारी रखा और अंततः नाजी सैनिकों द्वारा पकड़ी गयी। उसे तरह-तरह की यातनाएं दी गईं, लेकिन उसने अपनी जबान नहीं खोली।

-राजेन्द्र “जासूस’

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