सौंदर्य का द्योतक प्यारी-सी मुस्कान

Beautiful Smileआधुनिक समाज में प्यारी-सी मुस्कान सुंदरता का प्रतीक तो मानी ही जाती है, साथ ही हज़ारों काम भी संवारती है। इतना ही नहीं आकर्षक व्यक्तित्व में भी मुस्कान का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। सुंदर एवं स्वस्थ दांत और मसूड़े बनाते हैं, मुस्कान को आकर्षक और मोहक। अतः आवश्यकता है, दांतों और मसूड़ों की विशेष देखभाल की तथा किसी भी प्रकार की समस्या होने पर दंत-चिकित्सक के पास जाने और नियमित रूप से चैकअप करवाने की। ध्यान रहे, टेढ़े-मेढ़े या किसी और प्रकार के बदसूरत दांत अथवा मसूड़ों को दंत-चिकित्सक उचित उपचार द्वारा खूबसूरत और आकर्षक रूप दे सकता है।

मसूड़े

स्वस्थ मसू़डे मुस्कान को आकर्षक बनाते हैं। अगर मसूड़े से रक्त स्राव होने लगे तो यह टारटर जमने तथा जीवाणुओं के कारण मसूड़े में होने वाले रोग का संकेत है। ऐसे में दंत-चिकित्सक से उपचार और नियमित सफाई (स्केलिंग) करवाना निहायत ज़रूरी है। अन्यथा संामण के नीचे की हड्डी तक पहुँचने का खतरा रहता है। स्वस्थ मसूड़े से ही दांत मजबूत रहते हैं।

दांत

अगर आप अपने दांतों के आकार से संतुष्ट नहीं हैं तो आपका कोस्मेटिक दंत-चिकित्सक दांतों को सही आकार देकर आपको एक नया रूप दे सकता है।

भग्न दांत

कई बार किसी दुर्घटनावश या खेल-कूद के दौरान ऊपरी जबड़े के सामने वाले दांत भग्न हो जाते हैं। ऐसे में सिरेमिक लेमिनेट्स अथवा सिरेमिक क्राउन्स लगाये जाते हैं।

पीले या दागधब्बे युक्त दांत

दांतों पर दाग-धब्बे पड़ना या बदरंग अथवा पीले होना भी एक समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिये इंस्टेंट टूथ व्हाइटनिंग सिस्टम (ब्लीचिंग) का प्रयोग किया जाता है। फ्लोरोसिस या टेट्रासाइक्लिन के कारण दांतों का रंग अंत्यंत खराब हो जाने पर सिरेमिक लेमिनेशन किया जाता है। इस प्रिाया में बाकी दांतों के रंग से मिलान किये जाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिससे सभी दांत एक समान लगते हैं। आजकल तो अत्याधुनिक तकनीक के चलते लेमिनेट्स में अधिक समय भी नहीं लगता।

दांतों के बीच रिक्तस्थान

आकर्षक मुस्कान में सबसे बड़ी बाधा है, दंत-पंक्ति में दांत का गायब होना अर्थात् मसूढ़ों की बीमारी, दुर्घटना, संामण अथवा अन्य किसी कारण से निकाल दिये जाने पर रिक्त स्थान बनना। इस स्थिति में पास के मजबूत दांतों का सहारा लेकर निकाले गये दांत के स्थान पर सिरेमिक दांत लगाया जाता है। यह दांत असली दांतों की तरह ही दिखते और कार्य करते हैं।

दांतों के बीच जगह होना

दांतों के बीच खाली स्थान होना भी मुस्कुराहट पर विपरीत असर डालता है। ऐसा अनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है तथा व्यक्तिगत कारणों, अंगूठा चूसना या दांतों को जीभ से धकेलना इत्यादि से भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त मसूड़ों के नीचे सपोर्टिंग बोन के क्षय से तथा दांत निकालने पर रिक्त स्थान होने से जगह मिलने पर दांतों के इधर-उधर खिसकने से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस समस्या का समाधान ओर्थोडोंटिक उपचार या सिरेमिक लेमिनेट्स एवं क्राउन्स से हो सकता है।

आड़ेतिरछे या चोर दांत

जबड़े में जगह कम होने पर दांत जहॉं भी जगह मिलती है, उगने लगते हैं। नतीजतन, दांत बाहर को निकले हुए, आड़े-तिरछे या चोर दांत अर्थात एक दांत के पीछे दूसरा दांत निकलने लगता है। ऐसे में ओर्थोडोंटिक्स या टूथ स्ट्रेटलिंग का सहारा लिया जाता है। दांतों पर ब्रेसिज लगाकर उसके दबाव से दांतों को सही स्थिति में लाया जाता है।

दांतों का घिसना (एट्रिशन)

तंबाकू चबाने या नींद में दांतों को पीसने जैसी आदतों के चलते जब दांत लगातार घिसते हैं तो दांतों द्वारा काटने के स्थान की इनेमल पर्त घिस कर समाप्त हो जाती है। ऐसे में भी सिरेमिक क्राउन्स सहायक होते हैं।

दांतों की ऊपरी पर्त हटना (एब्रेशियन)

खुरदरे दंत मंजनों अथवा सख्त टूथ ब्रश के प्रयोग से दांतों की ऊपरी पर्त (इनेमल) हट जाने से, दांत बदरंग होकर दर्द करने लगते हैं। इसका उपचार सिरेमिक लेमिनेट तथा कॉस्मेटिक फिलिंग से किया जाता है।

संरचनात्मक समस्याएं

निचले जबड़े का बाहर को निकला होना अथवा अत्यधिक विकसित होना या ठोडी का अंदर को धंसा होना अथवा कम विकसित होना चेहरे की बनावट को ही बिगाड़ देते हैं। इसका उपचार दर्द रहित एवं निशान रहित शल्य-चिकित्सा से किया जाता है।

अतः आकर्षक मुस्कान के लिये दांतों और मसूड़ों की उचित देखभाल और आवश्यकतानुसार उपचार अत्यंत आवश्यक है।

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