तीन लोकों का रहस्य

Mystery of life & deathआत्मा के धाम को जानने के लिए तीन लोकों का ज्ञान जरूरी है। परमात्मा को त्रिलोकीनाथ भी कहते हैं ना। तो क्या आप जानते हैं कि वह तीन लोक कौन-कौन से हैं और उनमें से किस लोक से आत्मा इस सृष्टि मंच पर आयी है?

यहॉं तीन लोक का चित्र देखिए। परमपिता परमात्मा ने हमें दिव्य दृष्टि का वरदान देकर इसका साक्षात्कार कराया है। उसके आधार पर हमने यह चित्र बनवाया है। इस चित्र में सबसे नीचे उल्टे वृक्ष के रूप में जो मनुष्य सृष्टि दिखाई गई है, यह मनुष्य-सृष्टि आकाश तत्व के अंश-मात्र में है। इस लोक को मनुष्य लोक भी कहा जाता है। इसे ही साकार लोक, स्थूल सृष्टि, कर्म क्षेत्र या विराट नाटक-शाला भी कहा गया है, क्योंकि इस लोक में आकर आत्मा स्थूल अर्थात् हड्डी – मांस का शरीर धारण करती है और कर्म करती अथवा सुख-दुःख का खेल खेलती है। वह जैसा कर्म करती है, वैसा ही फल भी भोगती है। इस लोक में जन्म-मरण, सुख-दुःख, कर्म-विकर्म, संकल्प, वचन आदि सभी हैं। इस लोक में सदा यह विराट मनुष्य सृष्टि-नाटक चलता ही रहता है।

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