कोई नरम कोई गरम ऐसे ही होते है पखेरू

दोस्तों, तुम जब अपने मित्रों से मिलते हो तो पाते हो कि प्रत्येक का स्वभाव अलग-अलग होता है। कोई मिलनसार, कोई नरम तो कोई झगड़ालू होता है। ऐसा स्वभाव मनुष्यों के अलावा जीव-जन्तुओं में भी होता है। क्यों न हो, उनमें भी तो संवेदना पायी जाती है। यहॉं हम तुम्हें विभिन्न पक्षियों के स्वभाव के बारे में बताते हैं –

बुलबुल का नाम तो तुमने सुना होगा। यह बड़ी लड़ाकू चिड़िया है। जरा-सी बात पर यह अपने साथियों से लड़ने पर उतारू हो जाती है।

बया पक्षी को देख लो। जब ये घोसला बनाते हैं तो अण्डे देने के बाद उसे मिट्टी से ढंक देते हैं। पपीहा का नाम भी सुना ही होगा। इसके पीछे कई किंवदन्तियां हैं। वे सच हैं या नहीं, इसका प्रमाण तो नहीं है, लेकिन जब यह बोलता है तो लगता है, एक पीड़ा या दर्द का दरिया इसके दिल से बह रहा है। मानो किसी के वियोग में अत्यंत दुःखी है। हुदहुद की चाल अपने आप में अजीब है। जब यह चलता है तो लगता है, सामने से कोई दादा चला आ रहा है।

टिटहरी का स्वभाव इर्ष्यालु होता है। अगर वह किसी से झगड़ बैठी, तो तब तक उस पर घात करने का प्रयास करती है जब तक स्वयं परास्त न हो जाये। दर्जी चिड़िया को सिलाई अच्छी तरह आती है। यह अपना घोंसला सिलकर बनाती है। आमतौर पर बस्ती के आसपास के पेड़ों पर पूरे अधिकार के साथ रहती है।

चकोर पक्षी निशा जागरण का आदी होता है। अगर इसे चमकता चांद दिख जाए तो समझिए उसी पर एकटक दृष्टि जमाए निहारता रहता है। चील की ऩजर बहुत ते़ज होती है। ऊँचाई से नीचे के शिकार को आसानी से परखकर इस तरह झपट्टा मारकर ऊपर उड़ जाती है कि शिकार भी उसे समझ नहीं पाता। कठफोड़वा का अर्थ होता है काठ को फोड़ने वाला। यह लकड़ी पर अपनी चोंच से ठोंक-ठोंककर उसमें छेद बना देता है। इससे उसको दो फायदे होते हैं। एक, छेद की हुई जगह में वह रहना चाहे तो रह सकता है तथा दूसरा, छाल में छिपे कीड़े बाहर निकल आते हैं, उन्हें बड़े म़जे से चट कर जाता है।

यह रही चंद पक्षियों के स्वभाव की बातें। इनके अलावा आपके आसपास ढेर सारे पक्षी तो होंगे ही, इन्हें प्रतिदिन केवल कुछ देर ध्यान से देखो, इनके स्वभाव के बारे में तुम्हें खुद ही बहुत कुछ मालूम हो जाएगा।

– सुनील कुमार “सजल’

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