डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्टपति थे। उनकी सरलता, सौम्यता, नम्रता और प्रतिभा का सारा संसार लोहा मानता था। उनका जन्म 3 दिसम्बर, 1884 को बिहार के सारन जिले के जीरादेई गांव में हुआ। आपके पिता महादेव सहाय फारसी और संस्कृत के विद्वान थे। माता कमलेश्र्वरी अत्यधिक धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। राजेन्द्र प्रसाद को […]
उसे सब नन्हॉं कहकर ही पुकारते थे। वह बचपन से ही छोटे कद का कम़जोर बालक था। अभी वह पूरे दो साल का भी नहीं हुआ था, कि उसके पिता का देहांत हो गया। वह अपनी मॉं के साथ ननिहाल में रहने लगा। अभी उसकी अवस्था छः वर्ष की थी, कि एक बार अपने साथियों […]
पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद साल 22 अप्रैल, ईस्वी 571 को अरब में पैदा हुए। 8 जून, 632 ईस्वी को आपकी वफात हुई। होनहार बिरवान के चिकने चिकने पात। बचपन में ही आपको देखकर लोग कहते, “”यह बच्चा एक महान आदमी बनेगा।” एक अमेरिकी ईसाई लेखक ने अपनी पुस्तक में दुनिया के 100 महापुरुषों का उल्लेख […]
विराट गायत्री परिवार के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्रीराम शर्मा का जन्म 20 सितम्बर, 1911 को ग्राम आंवलखेड़ा, आगरा, उत्तरप्रदेश में पं. रूपकिशोर शर्मा के घर हुआ। आपके पिताजी राजघराने के राजपुरोहित एवं भागवत कथाकार थे। बचपन से ही श्रीराम शर्मा का मन आध्यात्मिकता की ओर था। उनके पिता जहां कर्मकाण्ड और पण्डिताई के कारण पवित्रता का […]
पेरिस के एक गरीब मुहल्ले में एक लंबा चोगा, सिर पर छोटा-सा हैट तथा आंखों पर काला चश्मा लगाए एक भारतीय महिला रहती थी, जिस पर ब्रिटिश व फ्रांसीसी सरकार की सख्त नजर थी। जब वह महिला अपने जीवन के अंतिम दिनों में मातृभूमि भारत में आकर मरी तो किसी भारतीय या मुंबई निवासी ने […]
हेरोडोट्स को इतिहासकारों का पितामह कहा जाता है। हेरोडोट्स का जन्म एशिया माइनर (टर्की का एशियाई हिस्सा) के हैलीकारनासस इलाके में हुआ था। कुछ लोगों के बारे में हम कह सकते हैं कि उन्होंने इतिहास को आकार दिया। लेकिन हेरोडोट्स के बारे में हमें कहना होगा कि उसने इस आकार को, इस मापदंड को जन्म […]
एक निर्धन ब्राह्मण थे सुदामा, जो कृष्ण के सहपाठी थे। दोनों ने एक साथ सांदीपनि के आश्रम में अध्ययन किया था। एक बार पत्नी के आग्रह पर सुदामा द्वारकाधीश श्रीकृष्ण से मिलने गये। कृष्ण ने उनका भव्य स्वागत किया। ब्राह्मण पत्नी द्वारा भेजा तंदुल खा लिया। दो मुष्टि-भर खाते ही भगवान् कृष्ण ने उन्हें सारी […]
प्रकृति ने जो भी निर्माण किया है वह सब सार्थक है। हाथ की रेखाएँ मनुष्य के जीवन में सभी समस्याओं के समाधान में पूरी तरह से सहायक हैं बशर्ते रेखाओं की जानकारी पूरी तरह से हों। रेखाएँ अपने भीतर कितने रहस्य लिये हुए हैं यदि रेखा विशेषज्ञ उनके बारे में विस्तार से बात करें तो […]
कहा जाता है कि कुछ लोग जन्मजात राष्टप्रेमी होते हैं। राष्ट के प्रति अनुराग उनके रोम-रोम में बसा होता है। ऐसे में जब राष्ट पराधीनता की बेड़ी में जकड़ा हुआ हो और कोई व्यक्ति अपने देश में जन्म ले तथा मातृभूमि की सेवा में पूरा जीवन व्यतीत करे तो न केवल उसके लिए सुखद होता […]
1896 में जन्मे यल्लप्रगड़ा सुब्बाराव ने मद्रास (अब चेन्नई) में अपने छोटे भाई को “स्प्रू’ रोग से ग्रस्त होकर तिल-तिलकर मरते देखा। उसकी दशा को देख उसने मन में संकल्प किया कि वह असाध्य रोगों का उपचार खोजने के लिए चिकित्सक बनेगा। सन् 1918 में प्रतिभा के बलबूते पर वह मद्रास मेडिकल कॉलेज में अध्यापक […]