ओटावा – रानी विक्टोरिया का प्रिय शहर

otavaदुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश कनाडा की राजधानी बनने के लिए सन् 1857 में इसके कई शहरों के बीच दावेदारी थी; मांटियल, किंग्सटन, टोरंटो और क्यूबेक। लेकिन सेहरा बंधा ओटावा के सिर तो इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि ओटावा ब्रितानी महारानी विक्टोरिया की पसंद था।

कनाडा की राजधानी ओटावा, दक्षिण-पूर्व ओंटारियो प्रांत में गैटीन्यू और रिड्यू नदियों के संगम पर बसा है। ओटावा दुनिया के आधुनिकतम शहरों में से एक है। कभी फर और इमारती लकड़ियों के कारोबार के लिए मशहूर रहा ओटावा आज कम्प्यूटर से जुड़े उद्योगों और वैश्र्विक वित्त संगठनों के लिए जाना जाता है। यह न सिर्फ एक आधुनिक औद्योगिक शहर है बल्कि कला, संस्कृति, शिक्षा के साथ-साथ पर्यटन का भी बहुत बड़ा केंद्र है। साफ-सुथरी और चौड़ी-चौड़ी सड़कें, तेज गति वाला रेल परिवहन और दुनिया भर की एयरलाइन्स से जुड़ा ओटावा पूरी दुनिया के सैलानियों का मन मोह लेता है। सिर्फ सैलानियों का ही नहीं, यह बड़े पैमाने पर ऐसे छात्रों को भी आकर्षित कर रहा है, जो कम्प्यूटर, इलेक्टॉनिक्स और नैनो टेक्नोलॉजी जैसे अत्याधुनिक विषयों में उच्च अध्ययन के लिए रुचि रखते हैं। यह अकारण नहीं है कि कनाडा पिछले एक दशक में अमेरिका और ब्रिटेन के बाद विदेशी छात्रों को आकर्षित करने वाला तीसरा बड़ा देश बन गया है।

ओटावा में विश्र्व स्तर की तीन बड़ी यूनिवर्सिटीज हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ ओटावा, सेंट पॉल यूनिवर्सिटी तथा कार्लट्न यूनिवर्सिटी। जहां ओटावा यूनिवर्सिटी और सेंट पॉल यूनिवर्सिटी द्विभाषी यूनिवर्सिटीज हैं, वहीं कार्लटन यूनिवर्सिटी विशुद्घ अंग्रेजी भाषा के माध्यम वाली है। इन तीनों विश्र्वविद्यालयों से जुड़े कई दर्जन कॉलेज हैं, जहां अलग-अलग विषयों की पढ़ाई होती है। ओटावा की आबादी लगभग 12 लाख है। आबादी के लिहाज से यह कनाडा का सबसे बड़ा शहर नहीं है, लेकिन जाड़े के मौसम में जब पूरा ओटावा जमकर बर्फ का रेगिस्तान दिखने लगता है, उन दिनों यहां सैलानियों की भीड़ देखते ही बनती है। दरअसल, ओटावा में स्थित रिड्यू नहर इन दिनों जमकर दुनिया की सबसे बड़ी स्केटिंग रिंक में बदल जाती है। तब यहां यूरोप और अमेरिका से बड़े पैमाने पर सैलानी स्केटिंग का लुत्फ उठाने के लिए आते हैं।

कनाडा की राजधानी ओटावा को दुनिया के गिने-चुने सबसे स्वच्छे शहरों में शुमार किया जाता है। इस शहर को अगर पार्कों का शहर कहें तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। ओटावा में बड़ी संख्या में पार्क हैं। यहां झीलों का एक झुरमुट है, जो इसे विश्र्व प्रसिद्घ “लेक ओंटारियो’ से जोड़ता है। ज्ञात हो कि झीलों, नदियों, जंगलों से ढका कनाडा दुनिया में मौजूद एक तिहाई स्वच्छ जल का भंडार है। इसके आर्कटिक महासागर को छूते बर्फ से ढके द्वीप स्वच्छ जल के विशाल भंडार हैं।

ओटावा कनाडा का, शिक्षा के साथ-साथ कला और संस्कृति का भी केंद्र है। नेशनल आट्र्स सेंटर, जिसे दुनिया के आधुनिक कला संग्रहालयों में एक बेहद सम्पन्न कला संग्रहालय समझा जाता है, यहीं स्थित है। कनाडा का विश्र्व प्रसिद्घ ओपेरा हाउस और कई मशहूर थियेटर भी ओटावा की सांस्कृतिक शान हैं। पिछली सदी के 70 और 80 के दशकों में दुनिया के जिन कई शहरों में अत्यंत सम्पन्न विज्ञान और तकनीक संग्रहालय स्थापित हुए, उनमें एक ओटावा में भी मौजूद है। नेशनल म्यूजियम ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी ऐसा ही संग्रहालय है, जहां आधुनिक विज्ञान और तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की जा सकती है। कनाडा की नेशनल गैलरी ऑफ आर्ट भी यहीं स्थित है। ओटावा से सटा उसका जुड़वा शहर ओटावा-हल है।

ओटावा पहले अमेरिकी अश्र्वेतों का मूल निवास था। जब यहां पहली बार फ्रांस के सैमुअल डी कैंपलेन सन् 1613 में पहुंचे और यहां नये फ्रांस की नींव रखी तभी ओटावा का भविष्यकालिक महत्व स्थापित हो गया था। वास्तव में ओटावा नदी अन्वेषकों और व्यापारियों के लिए दो सदियों तक एक सुगम मार्ग के रूप में इस्तेमाल होती रही। जब नेपोलियन के साथ ब्रिटेन का युद्घ बहुत लंबा खिंचा तो ब्रिटेन को जहाज बनाने के लिए लकड़ियों की काफी जरूरत महसूस हुई। जहाज बनाने के लिए जरूरी लकड़ी की खोज में ही ब्रितानी ओटावा नदी घाटी तक पहुंचे और यहां उन्हें बड़े पैमाने में ये संसाधन उपलब्ध हुए।

सन् 1800 में एक अमेरिकी, फिलमन राइट ओटावा नदी की दूसरी तरफ इमारती लकड़ी काटनी शुरू की। जहां वर्तमान में “हल’ शहर मौजूद है। जब 1812 में ब्रिटेन और अमेरिका के बीच जबरदस्त युद्घ हुआ तो रिड्यू नदी ने ब्रितानियों को ओटावा तक पहुंचने का सुरक्षित मार्ग मुहैया कराया। यह इसके जरिए ओंटारियो लेक तक पहुंचते थे। बाद में यह रास्ता एक समझौते के रूप में सामने आया। 1826 में लेफ्टिनेंट कर्नल जॉन बे (रॉयल इंजीनियर्स) ने ओटावा और रेड्यू नदी को एक नहर रिड्यू कैनाल के जरिए जोड़ा, जिसके कारण लंबे समय तक ओटावा को “बेटाउन’ के नाम से भी जाना गया। बाद में ओटावा नदी के नाम पर इसका नाम ओटावा पड़ा।

ओटावा जब 1857 में क्वीन विक्टोरिया के द्वारा कनाडा की राजधानी शहर के रूप में चिह्नित हुआ; उसके बाद से इसका तेज रफ्तार विकास शुरु हुआ। यह पूर्वी कनाडा में बहुत तेज रफ्तार से विकास करने वाला शहर बन गया। 20वीं सदी में जब यूरोप के तमाम देश द्वितीय विश्र्वयुद्घ में उलझे हुए थे। यहां के प्रधानमंत्री विलियम एल. मैकेंजी किंग ने फ्रांस से मशहूर वास्तुशिल्पकार जैक्स गेबर को बुलवाया और राष्टीय राजधानी को नया रंग-रूप और भव्यता प्रदान करने के लिए उन्हें एक बड़ी योजना बनाने के लिए कहा। जैक्स गेबर ने शहर को जो खूबसूरत डिजाइन और भव्यता प्रदान की, वह वास्तुकला का एक नायाब नमूना है।

 

– संदीप तिवारी

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