कॅरिअर के भविष्य की उड़ान

छोटा सिर्फ सुंदर ही नहीं है, बल्कि छोटा भविष्य भी है (स्मॉल इज फ्यूचर)। नैनो टेक्नोलॉजी वह चमत्कारिक विज्ञान व तकनीक है, जिस पर दुनिया का भविष्य टिका हुआ है और ऐसा हो भी क्यों न?

नैनो टेक्नोलॉजी आने वाले दिनों में हर उत्पाद के मूल में होगी। आने वाले दिनों में नैनो टेक्नोलॉजी मेडिसिन, बायोटेक्नोलॉजी, कॉस्मेटिक्स, पेंट्स जैसे कई क्षेत्रों में ाांतिकारी परिवर्तन करेगी। दवाओं के लेने के ढंग और उनके असर का समूचा गणित ही बदल जाएगा। पारंपरिक इंजीनियरिंग, मैटीरियल साइंस, फैब्रिकेशन, आईटी और डिवाइस इन सबमें नैनो टेक्नोलॉजी चमत्कारिक परिवर्तन कर देगी। इसलिए भारत ही नहीं पूरी दुनिया में नैनो टेक्नोलॉजी को कॅरियर के लिहाज से भविष्य की उड़ान समझा जाता है।

चूंकि नैनो टेक्नोलॉजी और नैनो साइंस मल्टी डिसिप्लिनरी क्षेत्र है। इसलिए यहां उन्हीं छात्रों का मजबूत भविष्य सुरक्षित है, जिनकी विज्ञान के क्षेत्र में बुनियादी पकड़ है। आप चाहे विज्ञान के किसी भी क्षेत्र से संबंधित हों, चाहे फिजिकल साइंसेज या टेक्नो साइंसेज। अगर आपके पास किसी भी विज्ञान क्षेत्र की मास्टर डिग्री है तो आप अपनी कोरकंपीटेंस में नैनो टेक्नोलॉजी की एप्लिकेशन क्षमता जोड़ सकते हैं। कहने का मतलब यह है कि कोई भी ऐसा छात्र, जिसने फिजिक्स, मैथेमेटिक्स या केमिस्टी अथवा बायोलॉजी में डिग्री हासिल कर रखी है और इंजीनियरिंग की मजबूत बुनियाद उसके पास है तो वह हायर एजुकेशन के लिए बतौर नैनो टेक्नोलॉजी को अपना सकता है। इस टेक्नोलॉजी में वह एम.टेक या पी.एच.डी. की डिग्री हासिल कर सकता है। इसके साथ ही उसके लिए कॅरियर के सर्वश्रेष्ठ दरवाजे खुल जाएंगे।

हालांकि नैनो टेक्नोलॉजी के मामले में हायर एजुकेशन यानी उच्च डिग्री क्षेत्र का ज्यादा महत्व है। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि नैनो टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएट या अंडर ग्रेजुएट पाठ्याम उपलब्ध ही नहीं हैं। हां, यह बात है कि कुछ थोड़े से इंस्टीट्यूट ही नैनो टेक को अंडर ग्रेजुएट या ग्रेजुएट स्तर पर बतौर पाठ्याम रखते हैं। ज्यादातर विश्र्वविद्यालय या साइंस इंस्टीट्यूट नैनो टेक को एम.टेक या पी.एच.डी. के स्तर पर ही अपने यहां रखते हैं।

नैनो टेक्नोलॉजी एक उच्च स्तरीय तकनीक है, जो कि भविष्य के उत्पादन तंत्र में आमूलचूल परिवर्तन ला देगी। इसलिए इसे न सिर्फ सरकार के स्तर पर बल्कि तकनीकी संस्थानों, कार्पोरेट जगत और शैक्षिक स्तर पर भी खूब महत्व व बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत सरकार ने हाल ही में डिपार्टमेंट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी की एक बड़ी परियोजना नैनो मिशन हेतु 1000 करोड़ रुपये की सहायता राशि मंजूर की है। माना जा रहा है कि यह सहायता राशि नैनो तकनीकी के क्षेत्र में तमाम बड़ी खोजों और व्यावहारिक कार्यविधि को संभव बनाएगी।

देश में नैनो टेक्नोलॉजी को महत्वपूर्ण तरीके से बढ़ावा देने के लिए देश की 3 उच्च स्तरीय यूनिवर्सिटीज को एम.एस. और एम. टेक के लेवल पर पाठ्याम शुरू करने के लिए चयन किया गया है। ये 3 कोर यूनिवर्सिटीज हैं कोलकाता की जाधवपुर यूनिवर्सिटी, चेन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी और दिल्ली की गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी।

नैनो टेक्नोलॉजी चूंकि भविष्य की टेक्नोलॉजी है, इसलिए सभी स्तरों पर इसे प्रोत्साहित किए जाने का प्रयास चल रहा है। नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र को प्रमोट करने के लिए देश भर में 7 उच्च स्तरीय साइंस सेंटर स्थापित किए गए हैं, जो इस तकनीक को औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण बनाने में अपना योगदान देंगे। इन 7 संस्थानों में पहले से ही स्थापित पुणे का नेशनल केमिकल लेबोरेटीज प्रमुख है। गौरतलब है कि इस संस्थान में नैनो टेक्नोलॉजी से संबंधित एक्सपेरिमेंट की उच्च स्तरीय सुविधाएं मौजूद हैं। पुणे का यह संस्थान कई साल पहले से ही दुनिया के उन तमाम विज्ञान संस्थानों के साथ द्विपक्षीय सहयोग व समझौता कर चुका है, जो पहले से ही नैनो टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं।

नैनो टेक्नोलॉजी के बारे में अभी तक जो भी संभावनाएं बाहर निकल कर आ रही हैं, वह इतनी चमकदार और इतनी हौसला आफजाई करने वाली हैं कि लगता है आने वाले दिनों की सारी तस्वीर ही बदल जाएगी। मसलन, नैनो टेक के जरिए ऐसी दवाएं विकसित किए जाने की संभावनाएं बलवती हुई हैं, जिनका प्रभाव 100 प्रतिशत सुनिश्र्चित होगा। सिर्फ दवाएं ही नहीं बल्कि ऐसे नैनो मेडिकल डिवाइस के बारे में भी सकारात्मक कल्पनाएं की जा रही हैं, जो बिना किसी ऑपरेशन के शरीर के अंदर प्रवेश कर क्षतिग्रस्त अंग की मरम्मत कर स्वतः शरीर के बाहर लौट आएंगे। नैनो टेक्नोलॉजी द्वारा जो-जो संभव है, वह अभी किसी सपने से कम नहीं है। माना जा रहा है कि नैनो टेक्नोलॉजी के जरिए भविष्य में ऐसे कपड़े बन सकेंगे, जिन्हें कभी धोने की जरूरत नहीं पड़ेगी और वे हमेशा न सिर्फ स्वच्छ और कड़क होंगे अपितु स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहद अनुकूल होंगे। ये कपड़े पहनने वाले को तरोताजा रखेंगे और तमाम छोटी-मोटी बीमारियों को भी खुद ही दूर कर देंगे।

सुनने और सोचने में यह सब कुछ सपने जैसा लग रहा है। लेकिन जिस तरह से नैनो टेक्नोलॉजी कदम दर कदम बढ़ रही है, उससे इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भविष्य सिर्फ और सिर्फ नैनो तकनीक का होगा। नैनो तकनीक खानपान, खेती, किसानी, निर्माण आदि हर क्षेत्र को बदल देगी। नैनो तकनीक से ऐसी संपूर्ण खुराक विकसित की जाएगी, जिसको खाने के बाद आदमी बीमार ही न पड़े और बीमार भी पड़े तो स्वतः सही हो जाए। आज की समूची सभ्यता तेल पर टिकी है और तेल का जिस तेजी से खात्मा हो रहा है, उससे दुनिया का मौजूदा विकास और मौजूदा सभ्यता दोनों ही ध्वंस के मुहाने पर पहुंच गई हैं। महज 6 महीने के भीतर कच्चे तेल की कीमतें 100 से 135 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं। चीन और भारत जो दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से विकास कर रहे हैं, इनका सारा विकास बढ़ती तेल की कीमतों से दांव पर लग गया है। नैनो टेक्नोलॉजी भविष्य की ऊर्जा समस्या को सौर ऊर्जा के प्रभावशाली उपयोग संभव बनाकर खत्म करेगी।

जहां तक इस क्षेत्र में उच्च स्तरीय डिग्री हासिल करने के बाद आय का सवाल है तो वह 25 हजार से 2.5 लाख रुपये महीने तक कुछ भी हो सकती है। मासिक वेतन आपकी डिग्री, संस्थान और कार्यक्षेत्र पर निर्भर करेगा। नैनो टेक्नोलॉजी में उच्च स्तरीय डिग्री देने वाले महत्वपूर्ण विज्ञान संस्थान इस प्रकार हैं-

  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलुरू,
  • भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई
  • एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता
  • एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो टेक्नोलॉजी, नोएडा
  • नेशनल केमिकल लेबोरेटी, पुणे
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, हैदराबाद
  • सेंटल इलेक्टो केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, कराइकुडी, तमिलनाडु
  • इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन साइंस, कोलकाता
  • जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च, बैंगलुरू

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