अपने अंदा़ज का आईना

आपके कपड़ों और एक्सेसरी़ज की ही तरह आपकी खुशबू भी आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगा सकती है। खुशबुएँ आपके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ कहती हैं। बस आपको यह देखना है कि क्या खुशबू जो कुछ कह रही है वह आपके व्यक्तित्व से मेल खाता है? जी हॉं, खुशबुएँ आपका आदेश मानती हैं, बस आपको आदेश मनवाना आना चाहिए। मौसम, अवसर और मूड- खुशबुएँ इन सब के अनुकूल होती हैं या हो सकती हैं, बस आपको चयन करना आना चाहिए।

कई बार आपने अचानक महसूस किया होगा कि जैसे आपका सिर तीखी खुशबू से भर गया है। इतनी तीखी कि आप तनाव महसूस करने लगे हैं। अगर देर तक इस तरह की खुशबू में रहना पड़े, तो सिरदर्द ला़िजमी है। दूसरी तरफ ऐसे लम्हे भी आपके अनुभव की डगर से गुजरे होंगे जब आपने महसूस किया होगा कि आपके बगल से नींबुई खुशबू का एक झोंका क्या गुजरा, आपको नख से लेकर शिख तक तरोताजा कर गया, रोमांच से लबरेज कर गया। जी हॉं, यह खुशबू के इस्तेमाल की समझ और अवसर की नजाकत के बीच संतुलन बिठाने का परिणाम है। इस संतुलन साधने की टिक में सजगता भी काम आती है और अनुभव की विद्या भी। यह आप पर निर्भर करता है कि आप कहॉं से और कैसे सीखते हैं?

हम सब चाहते हैं कि काम के दौरान हम उमंग में गमकते हुए-से दिखें, तरोताजा लगें। इसलिए दफ्तर जाते समय ऐसी खुशबू पसंद करें जो हल्की हो, न कि तीखी। जो भीने-भीने एहसास को गुदगुदाये, न कि अपने तीखेपन का नशा भर दे। इसलिए नींबुई या नींबू कुल (सिटरसी) की खुशबुएँ बेहतर रहती हैं। ये मूड भी तरोताजा रखती हैं, दूसरे को परेशान भी नहीं करतीं और माहौल में ऑक्सीजन बढ़ा देने का अहसास भी कराती हैं। एक बहुराष्टीय फाइनेंस कंपनी में काम करने वाली नेहा मजूमदार कहती हैं, “दरअसल संतरी एहसास मेरे मूड को ताजा भी रखता है और मुझे ताकतवर होने का एहसास भी कराता है। …और हॉं, मैं यह भी मानती हूँ कि इससे मेरी पर्सनैलिटी भी निखरती है।’

जब हर रोज आफिस जाने का काम हो, तो विशेषज्ञों का मानना है कि किसी एक ब्रांड और एक खुशबू से चिपके रहना आपकी जड़ता का द्योतक है। यह बोरिंग है। खुशबू बदलती रहनी चाहिए। बदल-बदलकर किया गया खुशबू का इस्तेमाल खुद को भी तरोताजा रखता है और पड़ोसियों को भी। इससे आप प्रिडेक्टेबल नहीं रहते। हर किसी के जीवन में कुछ रहस्य तो होना ही चाहिए।

अपनी खुशबू को अगर आप अपने निर्णयों और अपने अंदाज का आईना बनाना चाहते हों तो उनके साथ कुछ समीकरण जोड़िए। मसलन, अगर आप चाहते हैं कि आपके सहकर्मियों पर आपकी मौजूदगी का भरपूर असर दिखे, तो थोड़े लाउड फ्रैगरेंस जैसे ओरिएंटल सेंट या हरेभरे जंगलों वाले पेड़ों की खुशबू वाली वुडी खुशबू का इस्तेमाल करें। खस का भीना एहसास भी ताकतवर है बशर्ते उसके साथ ओरिएंटल सेंट का मिश्रण हो। हल्के फूलों वाली खुशबू आपके व्यक्तित्व को भी नरम, मुलायम और नाजुक एहसास वाला बनाती है।

खुशबू का चयन करते समय मौसम का भी ध्यान रखें, क्योंकि मौसम का मिजाज भी तय करता है कि परफ्यूम कैसा हो। मसलन ज्यादा गर्मियों में हल्की खुशबू तरोताजा रखती है। सर्दियों में खाना और पीना दोनों हैवी होते हैं। ज्यादा सर्दियों में खुशबू दूर तक फैलती भी नहीं है, क्योंकि उसका वाष्पोत्सर्जन तीव्र नहीं होता यानी खुशबू देर तक रुकती है। इसलिए जहॉं सर्दियों में हर रोज खुशबू की डो़ज की जरूरत नहीं पड़ती वहीं गर्मियों में हर दिन इसे बदलना जरूरी हो जाता है।

खुशबू के चयन में ही नहीं खुशबू के इस्तेमाल में भी समझदारी दिखनी चाहिए। मसलन, खुशबू का ज्यादा इस्तेमाल न करें, बिल्कुल हल्का-सा इस्तेमाल करें और हर जगह न लगायें। कानों के पीछे, गर्दन के पीछे, कलाइयों में और कमर के इर्द-गिर्द हल्का स्प्रे दें। इसी तरह अगर किसी पार्टी में जा रही हों तो यह देखें कि पार्टी का टाइम क्या है। अगर पार्टी का समय शाम का है तो हैवी खुशबू का इस्तेमाल करें, क्योंकि हवा में मॉइस्चर होगा और खुशबू तेजी से उड़ेगी नहीं। पर अगर दोपहर में लंच करने जा रही हैं तो हैवी खुशबू चिड़चिड़ा बनायेगी, आपको नहीं आपके इर्द-गिर्द के लोगों को।

खुशबू को अपने जिम में एक्सरसाइज करने जाते समय इस्तेमाल न करें। वाकई यह बुरा अनुभव बन सकती है। वहॉं आपके शरीर से निकला पसीना इसके साथ मिलकर कोई नया गुल खिला सकता है। इसलिए जिम जाते समय सहज होकर जाएँ, सिर्फ बॉडी डियोडरेंट के इस्तेमाल तक ही सीमित रहें।

खुशबू का अपने मूड के साथ भी सामंजस्य बिठायें। दरअसल जब मूड और खुशबू में तारतम्यता बनती है तभी वास्तव में खुशबू का इंज्वाय भी हम कर पाते हैं। आपका मूड तय करता है कि आप को कौन-सी खुशबू सूट करेगी। अगर आप बहुत खुशी के मूड में हैं तो एरोमा पसंद करेंगी। जब आप अच्छे मूड में होंगी तो आपकी सेंस ऑफ स्मेल कमाल की होगी और आप खुशबुओं के जंगल में भी तमाम खुशबुओं को स्पष्टता से पहचान पायेंगी। जब आप परेशान होंगी या आपका मूड डल होगा, तो आप खुशबुओं के बीच अंतर नहीं कर पायेंगी, क्योंकि आपकी त्वचा एक्टिव नहीं रहेगी और खुशबू व आपके बीच तारतम्यता नहीं बन पायेगी। इसलिए खुशबू खरीदने तब जाएँ जब मूड सही हो।

कुछ लोग चाहते हैं कि कुछ घंटे तक वह तरोताजा महसूस करें और कुछ लोग इस ता़जगी को लम्बा साथी बनाना चाहते हैं। खुशबू जल्दी उड़ती है या देर तक रहती है- यह तय करता है कि उसमें एसेंशियल ऑयल का प्रतिशत क्या है? अगर एसेंशियल ऑयल 30 फीसदी से ज्यादा है तो छह घंटे तक खुशबू रुकती है, कम है तो जल्दी उड़ जाती है। इसलिए खरीदते समय खुशबू की इन क्षमताओं का भी ध्यान रखें। वैसे ऑफिस जाने वाली महिलाओं के लिए थेरेपिस्ट सुझाव देते हैं कि उन्हें 15 से 20 फीसदी एसेंशियल ऑयल वाली खुशबुओं का ही इस्तेमाल करना चाहिए। इससे ज्यादा एसेंशियल ऑयल वाली खुशबुएँ परेशान करती हैं।

–     माहिया

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