उत्तम क्षमा

  • क्षमा तेजस्वी पुरुषों का उत्तम तेज है। क्षमा तपस्वियों का ब्रह्म है। क्षमा सत्यवादी पुरुषों का उत्तम सत्य है। क्षमा यज्ञ है और क्षमा मनोनिग्रह है।
  • क्षमा दंड से भी बड़ा है। दंड देता है मानव, किन्तु क्षमा प्राप्त होती है देवता से। दंड में उल्लास है, पर शांति नहीं और क्षमा में शांति है और उत्तम आनन्द भी।
  • हम जितना अधिक जानते हैं, उतने ही क्षमाशील बनते हैं। जिसकी अनुभूति जितनी गहरी होती है, उसकी संवेदना उतनी ही व्यापक होती है।
  • विद्वान क्षमा से ही शुद्घ होते हैं।
  • क्षमा ही उत्तम यज्ञ है, क्षमा ही उत्तम धर्म है, क्षमा से ही चराचर जगत स्थित है।
  • क्षमा से क्रोध को जीतो, भलाई से बुराई को जीतो, दरिद्रता को दान से जीतो और सत्य से असत्यवादी को जीतो।
  • क्षमा पर मनुष्य का अधिकार है, वह पशु के पास नहीं मिलती। प्रति हिंसा पशु-धर्म है।
  • क्षमा असमर्थ मानवों का उत्तम गुण है, तो समर्थों का उत्तम भूषण है।
  • संसार में ऐसे अपराध कम ही हैं, जिन्हें हम मन से क्षमा न कर सकें।

– उत्तम डामराणी जैन

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