ताकि परेशान न हों जब दो से तीन बनें

becoming-parentsअभी तक आप सिर्फ दो थे। अब आपके घर में एक नया मेहमान आ गया है। आपको गर्व है कि आप एक बच्चे के माता-पिता बन गये हैं। नये पेरेंट्स बनना अपने किस्म की जटिलताओं के साथ आता है। पेरेंट्सहुड जीवन को बदल देती है। सबसे पहली बात जो बहुत स्पष्ट भी है, आपको अपने बच्चे के शुरूआती कुछ महीनों में पर्याप्त नींद नहीं मिलेगी। आपका बच्चा पहले चंद ही घंटों के लिए सोएगा। जब वह जागेगा तो आप भी जागोगे। कम नींद मिलने की वजह से आप में चिड़चिड़ापन आ जायेगा और घर के कामकाज भी मुसीबत-से लगने लगेंगे। आपके पास काम के लिए, अपने लिए और अपने साथी के लिए भी कम समय बचेगा।

आपके नजरिये पर सब कुछ निर्भर है

हालांकि नया पेरेंट बनना बहुत शानदार अहसास है। लेकिन कभी-कभी यह वास्तव में बहुत मुश्किल और तनावपूर्ण भी हो सकता है। ध्यान रहे कि कुछ समय के लिए बच्चे से छुट्टी लेना और छुट्टी की चाहत करना बिल्कुल ठीक होता है। इसके अलावा आप और आपका साथी यह महसूस कर सकते हैं कि आप दोनों के पेरेंटिंग के नजरिए एकदम अलग हैं। मसलन, बच्चे के रोने पर एक उसे एकदम गोद में उठाना चाहेगा और दूसरा ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहेगा। साथ ही एक मुश्किल यह भी आती है कि कौन घर में ज्यादा काम करता है। यह मुश्किल बड़ी समस्या बन सकती है, अगर बैठकर बातों के जरिए परेशानियों का हल नहीं तलाशेंगे।

आपस में बातचीत करें

गुस्से पर विराम लगाने और बहस को रोकने का सबसे अच्छा जरिया कम्युनिकेशन है। नये पेरेंट्स के तौर पर बच्चे की देखभाल में इतने व्यस्त न हो जायें कि एक-दूसरे से बातचीत करने का समय ही निकालना भूल जायें। गुस्से वाली छोटी-छोटी बातें बड़ी समस्याएं बन जायेंगी, अगर उनको नजरअंदाज कर खुलकर सामने नहीं लाया गया तो। इसलिए कम्युनिकेट करने के लिए समय निकालें। अक्सर गलतफहमी को आसानी से दूर किया जा सकता है। करना बस इतना है कि चीजों को दूसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण से भी देखने का प्रयास करें। अगर कोई बात आपको परेशान कर रही है तो उसे अपने साथी से बता दें। लेकिन यह सुनिश्र्चित कर लें कि उसे सही समय पर बताया जाये।

अगर आप वार्ता की शुरूआत इस तरह से करेंगे कि डिशों को गंदा किसने छोड़ा जब बच्चा अपनी फीड के लिए चिल्ला रहा था तो इससे कुछ भी समाधान नहीं निकलेगा। इसके बजाय बेहतर तरीका यह है कि जब बच्चा सो जाए तो साथ बैठने की योजना बनाएं और इसके लिए समय निकालें। एक-दूसरे के प्रति सच्चाई व ईमानदारी से काम लें। लेकिन साथ ही सेंस ऑफ ह्यूमर को भी बरकरार रखने की कोशिश करें। अपने साथी की चिंताओं को सुनें और उनकी आलोचना न करें। यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि तनाव व नींद की कमी आपको अधिक चिड़चिड़ा बना देती है। इसलिए चिड़चिड़ेपन की प्रवृत्ति को दबाए रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता होती है।

जब एक बार आप अपनी-अपनी परेशानियों को कह चुकें तो साथ मिलकर समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयास करें। समाधान ऐसे होने चाहिए, जिन्हें दोनों स्वीकार कर लें और साथ ही समझौता करने के लिए भी दोनों को ही तैयार रहना चाहिए।

नये पेरेंट्स बनने का अर्थ यह भी है कि बच्चे की देखभाल और घरेलू जिम्मेदारियां जैसे कुकिंग, लांडी, सुबह की फीडिंग आदि को आपस में बांट लिया जाये। जब दोनों पेरेंट्स को अपनी जिम्मेदारियों के बारे में मालूम होता है तो घर ठीक तरह से चलता है।

साथ वक्त बिताने के लिए समय निकालें

हालांकि आपके बच्चे ने आपको तीन का परिवार बना दिया है, लेकिन आप दोनों को अब भी एक जोड़े के रूप में समय की आवश्यकता है। यह समय निकालने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसकी योजना बनायी जाये। नियमित साप्ताहिक डेट का प्रयास करें। अगर आप बच्चे को सिस्टर के साथ नहीं छोड़ना चाहते तो विशेष डिनर घर पर ही बनायें और बच्चे को बिस्तर में सुला दें। बच्चे के सोने के बाद जागते रहने से भी आपको रोजाना संपर्क बनाने का समय मिल जायेगा। अपनी भावनाओं को शेयर और व्यक्त करने के लिए दिन में कम से कम 20 मिनट निकालें, डिशें साफ करते समय या सोने की तैयारी करते समय। वीक एंड पर घर से बाहर निकलें और परिवार के तौर पर कुछ करें। रोजाना की फैमिली वॉक से भी आपको आपस के लिए समय मिल जाएगा, जबकि आपका बच्चा स्टोलर में राइड का मजा ले रहा होगा। अपनी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल करें और साथ समय गुजारने का ऐसा समय निकालें, जो आप दोनों को सूट करता हो चाहे वह लंच पर मीटिंग हो, जब कोई इच्छुक ग्रैंड पेरेंट बच्चे को देख रहा हो या सोने से पहले ताश का गेम हो। कुल मिलाकर तथ्य यह है कि साथ समय गुजारना महत्वपूर्ण है।

– नीलम अरोड़ा

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