दूसरों की यात्रा से मंजिल नपने का इंत़जार

प्रदेश के समस्त राजनीतिक दल, इन दिनों जनता जनार्दन के भीतर पैठ बनाने के लिए अति सिाय हैं। मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी ने कामावरापुकोटा (पश्र्चिम गोदावरी) में जातिगत पत्ता फेंकते हुए कापुओं से स्कॉलरशिप देने का वादा किया है। कहा है कि आर्थिक रूप से पिछड़े (ईबीसी) वर्ग के छात्रों को, जिनके परिवार की सालाना आमदनी एक लाख रुपये से कम होगी, सभी तरह की सहूलियतें प्रदान की जाएंगी। साथ ही यह भी याद दिलाया कि उनकी सरकार ने कापु छात्रों के लिए पहले ही दस करोड़ रुपये मंजूर किए हैं और बीस करोड़ और जारी किए जाएंगे। यहॉं यह याद रखना चाहिए कि मेगा स्टार चिरंजीवी कापु जाति से हैं। मतदाता कहीं उधर न झुक जाएं, इसलिए स्कॉलरशिप का चारा मुख्यमंत्री ने सही वक्त पर फेंका है। चिरंजीवी अपनी प्रजा राज्यम पार्टी के प्रचार अभियान के तहत इन दिनों तेलंगाना के दौरे पर हैं। आने वाले चुनाव में चूंकि “तेलंगाना’ एक बार फिर एक बड़ा मुद्दा बन सकता है (2004 के चुनाव में भी था, जब तेरास और कांग्रेस एक होकर तथा नक्सलवादियों की मदद लेकर चुनाव लड़े और जीते थे), चिरंजीवी साहब बड़ी चालाकी से वायदों की नैया खे रहे हैं। करीमनगर के सिरसिल्ला में एक “रोड शो’ के दौरान चिरंजीवी ने कहा है, “पृथक तेलंगाना राज्य के मुद्दे पर उनकी पार्टी अपना स्टैण्ड यानी तेलंगाना टूर खत्म होने से पहले बता देगी। तेलंगाना राज्य की मांग पर अभी मेगा स्टार असमंजस में हैं। हॉं, उनकी पार्टी चुनाव क्षेत्र के आधार पर पार्टी की कमेटियां गठित करने में जुटी हुई है। तेलुगू देशम पार्टी 5 नवम्बर को “युवा गर्जना’ रैली की तैयारी में है ताकि नंतारा परिवार के नौनिहाल नंदमूरि बालकृष्णा को युवक-हृदय-सम्राट के तौर पर “प्रोजेक्ट’ किया जा सके। खबर यह भी है कि तेरास के सुप्रीमों केसीआर, जिन्होंने 4 साल पहले कांग्रेस के साथ मिलकर और नक्सलवादियों की मदद लेकर चुनाव में तेदेपा के नायुडू गारू की सत्ता पलटी थी, अभी चुनाव-पूर्व “एलायन्स’ की पकी हुई सम्भावनाओं को पहचानने में जुटे हुए हैं। चर्चा है कि अब वह अपना और अपनी पार्टी का राजनीतिक भविष्य, चिरंजीवी की चालों में सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। तेरास सुप्रीमों कहते हैं कि “चुनावों के पहले गठबंधन की हवा बहती तो है, लेकिन अभी उन्हें कोई जल्दी नहीं है।’ यानी चिरंजीवी की घोषणा सुनकर वह सोचेंगे कि पानी को कहॉं ठहरना चाहिए।

राजनीति से भ्रष्टाचार का सफ़ाया करने के लिए राजनीति में उतरे लोकसत्ता पार्टी के सुप्रीमों जयप्रकाश जी भी मंच पर अपनी मौजूदगी सिद्घ करने के लिए कभी कुछ तो कभी कुछ मुद्दों पर बोल देते हैं। और तो और, निरे अराजनीतिक आर्य-जगत के लोग भी पृथक तेलंगाना के समर्थन में उठ खड़े हुए हैं। आर्य प्रतिनिधि सभा, आंध्र प्रदेश ने तेलंगाना के लिए अभी दो दिन पेश्तर ही धरना दिया है और तेलंगाना के मुद्दे पर तेदेपा से टूट कर (छूटकर) बाहर आए टी. देवेन्द्र गौड़ ने “आंध्र प्रदेश स्थापना दिवस’ को काले दिवस के रूप में मना कर अगले दिन तेलंगाना-घोषणा करने का ऐलान किया है। वामपंथी दल भी, जो कभी अखंड-आंध्र के पक्षधर थे, खंडित राज्य की कोशिशों पर ़गौर कर रहे बताए जाते हैं, तो धुर दक्षिणपंथी भाजपा भी तेलंगाना के फेवर में होने का खुला इ़जहार करने में लगी है। तमाम दल हैं, और सब अति सिाय हैं क्योंकि आने वाला साल “चुनाव-साल’ होगा। जैसे ईद और त्योहार मनाने के लिए तैयारी पहले से चलती रहती है, “पृथक तेलंगाना’ के नाम पर सभी जगह तैयारियॉं और त्यौरियॉं भांजना जारी है। कहते हैं, मुख्यमंत्री जी इसी सिलसिले में प्रणव मुखर्जी से कह चुके हैं कि तेलंगाना अलग हुआ तो प्रदेश के और टुकड़े होंगे। मजलिस भी तेलंगाना पर अपना रुख रखता है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो लगता है, जैसे सभी राजनीतिक दलों के बीच पीपल के पेड़ की तरह तेलंगाना का पौधा रोपा हुआ है और सब अपनी-अपनी शैली में उसकी परिामा में व्यस्त हैं। विकास और विनाश के चिरपरिचित मुद्दे, जो कभी जनाकांक्षा से जुड़ कर चुनाव का भविष्य तय करते थे, नेपथ्य में चले गए हैं। यानी फ़िलहाल यह साफ़ नहीं है कि चुनावपूर्व के गठबंधनों की शक्ल कैसी होगी। लेकिन इन चर्चाओं की विवेचना करने पर स्पष्ट होता है कि किसी भी पार्टी में अकेले दम पर चुनाव लड़ने और जीतने की न इच्छाशक्ति बची है न साहस और न आदर्शवाद। सबके सब मौ़कापरस्ती के शिकार हैं। एक-दूसरे की चाल-ढाल ताड़ने में लगे हैं। जब जैसा अच्छा लगेगा, कर लेंगे। यानी सब तरफ़ गंतव्य अपनों के नहीं, दूसरों के उठते ़कदम से नपने का इंत़जार कर रहा है। हम और आप तो आम आदमी हैं। हमें तो बस तमाशबीन रह कर तमाशा देखना है।

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