पानी आग कैसे बुझा देता है??

दोस्तों, जब भी कहीं आ लग जाती है तो आग बुझाने के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता है। आग बुझाने वाले फायर ब्रिगेड भी पानी द्वारा ही आग बुझाते हैं। अब सवाल ये है कि पानी आग कैसे बुझा देता है?

पानी द्वारा आग बुझाने की क्रिया को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि आग लगती कैसे है? आग लगने के लिए तीन चीजों का होना आवश्यक है।

किसी जलने वाली वस्तु, जैसे लकड़ी, कोयला, काग़ज आदि का होना।

आग के जलने के लिए ऑक्सीजन गैस का होना।

ऊष्मा यानी गर्मी का होना। ऊष्मा द्वारा ही जलने वाली वस्तु अपने ज्वलनांक तक पहुँचती है। हर वस्तु एक निश्र्चित तापमान पर जलने लगती है। इसी तापमान को वस्तु का ज्वलनांक कहते हैं।

जब वस्तु का तापमान ज्वलनांक तक पहुँच जाता है तो वस्तु में आग लग जाती है। वस्तु वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन की सहायता से जलती ही रहती है।

आग बुझाने के लिए यदि ऑक्सीजन का आग लगने वाली जगह तक पहुँचना बंद कर दिया जाए तो आग बुझ जाएगी, क्योंकि कोई भी वस्तु बिना ऑक्सीजन के नहीं जल सकती या यदि किसी भी तरीके से ईंधन का तापमान कम कर दिया जाए तो भी आग बुझ जाएगी।

आग पर पानी डालने से ईंधन का तापमान उसके ज्वलनांक से कम हो जाता है, क्योंकि पानी गर्मी को सोख लेता है। यही कारण है कि आग पर पानी डालने से यह बुझ जाती है। पानी को धार के रूप में डालने से आग शीघ्र ही बुझ जाती है। यह तरीका आग बुझाने में अधिक प्रभावशाली सिद्घ होता है। लेकिन पानी वो आग नहीं बुझा पाता जो तेल या ग्रीस में लगी हो, क्योंकि ये पदार्थ पानी से हल्के होते हैं। पानी डालने पर ये पानी के ऊपर तैरने लगते हैं और जलते ही रहते हैं। इस प्रकार की आग बुझाने के लिए दूसरे प्रकार के अग्निशामक प्रयोग में लाए जाते हैं।

दोस्तों, जब भी कहीं आ लग जाती है तो आग बुझाने के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता है। आग बुझाने वाले फायर ब्रिगेड भी पानी द्वारा ही आग बुझाते हैं। अब सवाल ये है कि पानी आग कैसे बुझा देता है?

पानी द्वारा आग बुझाने की क्रिया को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि आग लगती कैसे है? आग लगने के लिए तीन चीजों का होना आवश्यक है।

किसी जलने वाली वस्तु, जैसे लकड़ी, कोयला, काग़ज आदि का होना।

आग के जलने के लिए ऑक्सीजन गैस का होना।

ऊष्मा यानी गर्मी का होना। ऊष्मा द्वारा ही जलने वाली वस्तु अपने ज्वलनांक तक पहुँचती है। हर वस्तु एक निश्र्चित तापमान पर जलने लगती है। इसी तापमान को वस्तु का ज्वलनांक कहते हैं।

जब वस्तु का तापमान ज्वलनांक तक पहुँच जाता है तो वस्तु में आग लग जाती है। वस्तु वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन की सहायता से जलती ही रहती है।

आग बुझाने के लिए यदि ऑक्सीजन का आग लगने वाली जगह तक पहुँचना बंद कर दिया जाए तो आग बुझ जाएगी, क्योंकि कोई भी वस्तु बिना ऑक्सीजन के नहीं जल सकती या यदि किसी भी तरीके से ईंधन का तापमान कम कर दिया जाए तो भी आग बुझ जाएगी।

आग पर पानी डालने से ईंधन का तापमान उसके ज्वलनांक से कम हो जाता है, क्योंकि पानी गर्मी को सोख लेता है। यही कारण है कि आग पर पानी डालने से यह बुझ जाती है। पानी को धार के रूप में डालने से आग शीघ्र ही बुझ जाती है। यह तरीका आग बुझाने में अधिक प्रभावशाली सिद्घ होता है। लेकिन पानी वो आग नहीं बुझा पाता जो तेल या ग्रीस में लगी हो, क्योंकि ये पदार्थ पानी से हल्के होते हैं। पानी डालने पर ये पानी के ऊपर तैरने लगते हैं और जलते ही रहते हैं। इस प्रकार की आग बुझाने के लिए दूसरे प्रकार के अग्निशामक प्रयोग में लाए जाते हैं।

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