पेट में सूक्ष्मरजीव और मोटापा

stomach-microorganismsवैज्ञानिकों ने एक ऐसे सूक्ष्मजीव का पता लगाया है, जो आपको अपने भोजन में से ज्यादा ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करता है। इस खोज से संकेत मिलता है कि हमारी आंतों में उपस्थित सूक्ष्मजीव हमें दुबला-पतला या मोटा बना सकते हैं। यह भी संभावना नजर आती है कि सूक्ष्मजीवों की मदद से मोटापे का सामना किया जा सकता है।

वैसे तो हमारी आंतें सूक्ष्मजीवों का अड्डा हैं। ये सूक्ष्मजीव भोजन के पाचन में हमारी मदद करते हैं। मगर हम यह नहीं जानते कि अनगिनत किस्म के सूक्ष्मजीवों में कौन-सा क्या कार्य करता है। अब वैज्ञानिक यह समझने के लिए अनुसंधान कर रहे हैं।

वाशिंगटन विश्र्वविद्यालय के बक सैमुअल और उनके साथियों ने आंतों में बसे एक सूक्ष्मजीव “मिथेनोब्रेवीबैक्टर स्मिथि’ पर ध्यान केंद्रित किया। यह सूक्ष्मजीव आंतों में से कचरा हटाने का काम करता है। वास्तव में यह अन्य सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न की गयी हाइडोजन और अन्य अपशिष्ट पदार्थों का भक्षण करता है और मीथेन उत्पन्न करता है, जो बाहर निकल जाती है।

एम.स्मिथि चाहे सफाई (कामगार) की भूमिका निभाता हो, मगर इसका काम बहुत महत्वपूर्ण है। सैमुअल व उनके साथियों ने देखा कि यह अन्य सूक्ष्मजीवों को ऐसे रेशेदार पदार्थों को पचाने में मदद करता है, जिन्हें हम नहीं पचा सकते। सूक्ष्मजीवों द्वारा पचाए जाने के बाद हमारा शरीर इनका उपयोग कर पाता है। यदि यह सूक्ष्मजीव न हों, तो कचरा इकट्ठा होता रहता है और अन्य सूक्ष्मजीवों की क्रिया ठप्प हो जाती है।

उक्त शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन चूहों को एम.स्मिथि की जोरदार खुराक दी गई, वे कहीं अधिक मोटे-तगड़े बने।

इस खोज से एक रोचक बात का संकेत मिलता है। अक्सर भोज्य-पदार्थों पर लिखा होता है कि उनमें कितनी कैलोरी है। मगर इस खोज के मद्देनजर लगता है कि शायद वह जानकारी भ्रामक है, क्योंकि एक ही भोज्य-पदार्थ से अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग मात्रा में कैलोरी मिलेगी और यह उनके आंतों में बसे सूक्ष्मजीवों की फौज पर निर्भर करेगा।

लगभग 85 प्रतिशत लोगों की आंतों में एम.स्मिथि या उसका कोई संबंधी रहता है। सैमुअल अब यह जांच करना चाहते हैं कि क्या मोटे लोगों में इस तरह के बैक्टीरिया ज्यादा तादाद में होते हैं।

यदि उनके शोध के परिणाम इन्सानों पर लागू होते हैं, तो वजन घटाने या बढ़ाने के लिए व्यायाम नहीं, बैक्टीरिया की जरूरत होगी। हालांकि खुद सैमुअल मानते हैं कि पूरी बात अभी अटकल के स्तर पर ही है।

इसी सिलसिले में सैमुअल के दल ने एक प्रयोग और किया। उन्होंने कुछ सूक्ष्मजीव रहित चूहों को दो समूहों में बांटा। एक समूह के चूहों को मानव आंत का एक बैक्टीरिया बी.थेटा दिया, जबकि दूसरे समूह को बी.थेटा के साथ-साथ एम.स्मिथि की खुराक भी दी गई। देखने में आया कि एम.स्मिथि के साथ बी.थेटा पाए चूहों की आंतों में 100 गुना अधिक बी.थेटा हो गये। इससे पता चलता है कि एम.स्मिथि ने इसमें कुछ भूमिका जरूर अदा की है।

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