मानसून का मेन्यू

monsoon-menuजब चारों तरफ हरियाली छा जाये और धूप से बादल आंख मिचौली करने लगे यानी कभी घटा छा जाए और कभी ते़ज धूप निकले, फिर अचानक तेज बारिश होने लगे, तो आप जान जाते हैं कि मानसून आ गया। बारिश यकीनन दिलों में रोमांस पैदा करती है, भले ही खराब सड़कें आपको घर पर बैठने के लिए मजबूर कर दें। फिर भी रिमझिम फुहार में वॉक करने का मन तो करता ही है। मौसम के प्रति अगर थोड़ा सजग हो जाएं तो आप बारिश का वैसा ही आनंद ले सकते हैं जैसा शायरों ने अपनी कृतियों में बयान किया है-

ऐ ऩजरे-करम थम-थम के बरस,

इतना न बरस कि वो आ न सकें

जब वो आ जाएं तो जम-जम के बरस,

इतना बरस कि वो जा न सकें

बहरहाल, बारिश में भीगते हुए सामने खड़े चाट वाले की चाट की महक आपको बुला रही हो, मुंह में पानी ला रही हो, तो भी अपने आपको रोकें, क्योंकि मानसून में खराब खानपान से जितना पेट खराब होता है, उतना किसी दूसरे मौसम में नहीं होता। मानसून में स्वस्थ रहना है तो आवश्यक और जिनसे बचा जाए उन फूड्स की सूची बना लें और धार्मिक िाया की तरह उसका पालन करें।

मानसून में पत्तेदार सब्जियां न खायें, क्योंकि इन पर ही कीड़े और बैक्टीरिया जिंदा रहते हैं और आपको आसानी से इंफेक्शन हो सकता है। साथ ही पत्तेदार सब्जियों में सेल्यूलो़ज की मात्रा अधिक होती है, जिससे उन्हें हजम करना कठिन हो जाता है। साथ ही मानसून में आपका डायजेस्टिव सिस्टम कमजोर हो जाता है, क्योंकि उसे विभिन्न इंफेक्शंस से लड़ने और प्रतिरोधात्मक क्षमता को बरकरार रखने के लिए अधिक प्रयास करने होते हैं। इसलिए धीमे चलो।

दही आपके पेट के लिए बहुत शानदार हो सकती है, लेकिन मानसून में इससे बलगम बनता है, जो आपके रेस्प्रिटरी टैक्ट को प्रभावित करता है। मानसून में केला और उड़द की दाल भी न खायें, क्योंकि इनसे भी बलगम बनाता है।

पहले से कटे हुए फल रखे हों, उन्हें न खायें। इस मौसम में असुरक्षित सतहों पर कीटाणु बहुत तेजी से फैलते हैं।

हल्दी जर्म्स से लड़ने में बहुत कारगर होती है। इसलिए अगर आप इंफेक्शन से बचना चाहते हैं तो रोजाना एक ग्राम हल्दी सुबह के समय खा लें। उसमें दो-तीन बूंद पानी की मिलाकर गोली बना लें और गटक लें।

अगर आप अपनी आंतों को स्टाइल रखना चाहते हैं तो शहद का इस्तेमाल करें। यह बहुत शानदार टॉनिक है। यह आपको पाचन में भी मदद करता है, हीट प्रदान करता है और बलगम बनाने वाले फूड्स का मुकाबला करता है। अच्छी नींद के लिए एक-दो चम्मच शहद रात में सोने से पहले ले लें। सुबह गुनगुने पानी के साथ शहद लेने से डिटोक्स करने में मदद मिलती है।

लहसुन कीटाणुओं को मारता है। उसे चटनी के रूप में लें या कैप्सूल के रूप में गटक जाएं- चाहे जैसे खाएं, इससे लाभ ही मिलेगा।

सही किस्म का भोजन खाकर अपनी प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ायें। अपनी रोजाना की डायट में आंवले को शामिल कर लें, जिसमें विटामिन-सी अधिक होता है। अन्य फूड्स जो आपको इस मौसम में तन की शक्ति प्रदान करेंगे, वह हैं मछली, ओट्स, जौ और लहसुन। प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ाने के लिए ग्रीन टी बहुत शानदार है। लेकिन अधिक दूध वाली चाय पीने से बचें, क्योंकि वह एसिडिटी बढ़ाती है।

मानसून में अधिक उमस के कारण संक्रामक रोग अधिक फैलते हैं। यह रोग वोइल्स, एकनी, फरन्यूकल्स और कारब्यूनिकल्स के रूप में सामने आते हैं। कुछ सामान्य फंगल इंफेक्शन त्वचा को प्रभावित करते हैं, जिससे बाल झड़ते हैं, सिर, हाथ, टांग, पैर और ग्रोइन में काले धब्बे पड़ जाते हैं। मानसून से बहुत से परजीवी रोग भी हो जाते हैं, जैसे स्कैबी़ज (कीटाणुओं का त्वचा की ऊपरी सतह में जमा हो जाना, जिससे खुजली व दाद होते हैं), पेडिक्यूलोसिस (जूं), वायरल इंफेक्शन और वाटर्स। इसलिए इन सबसे बचने के लिए सतर्क रहना आवश्यक है।

बहरहाल, इस मौसम में आपको इंफेक्शन हो सकता है, अगर आपको-

  • श्र्वास नली का कोई रोग है
  • हाजमा दुरुस्त नहीं है
  • डायबिटीज है
  • कैंसर है
  • हाल ही में कोई सर्जरी हुई है।

 

– करमचंद

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