मुझे नींद नहीं आई

swami-vivekanandaएक बार एक भारतीय युवक अमेरिका के एक धनी पुरुष के बुलावे पर उनके घर गया। घर के मालिक ने युवक का खूब सत्कार किया। सुंदर सजे-धजे आरामदायक कमरे में रात को उनके सोने का इंत़जाम किया। परन्तु उस युवक को उस आरामदायक बिस्तर पर नींद नहीं आई। वह रोने लगा। उसका तकिया तक आँसुओं से गीला हो गया। युवक बिस्तर से उतरकर जमीन पर सो गया। तकिए की जगह सिर के नीचे अपना हाथ रख लिया।

सुबह घर के मालिक ने आकर देखा कि उनका मेहमान पलंग पर न सोकर जमीन पर सो रहा है, तो उन्हें आश्र्चर्य हुआ और चिंता भी। उन्होंने युवक से जमीन पर सोने का कारण पूछा, तो युवक ने जवाब दिया, “मेरे देश में हजारों भाई-बहन पेड़ों के नीचे जमीन पर सोकर रात गुजारते हैं और मैं यहॉं इतने ऐशो-आराम से सोऊँ! इसी परेशानी के कारण मुझे नींद नहीं आई। मुझे काफी बेचैनी महसूस हुई। अतः मैं पलंग छोड़ कर जमीन पर सो गया और मुझे नींद आ गई।’

उस भारतीय युवक का अपने देश के लिए इतना प्रेम देख कर वह अमेरिकावासी सज्जन दंग रह गया। वह युवक थे भारत माता के यशस्वी पुत्र स्वामी विवेकानंद।

You must be logged in to post a comment Login