मूड स्विंग – यह बीमारी है

mood-swingsव्यस्त जीवनशैली, तनाव और परिवार का बदलता स्वरूप। आइये, नये युग के जीवन के बदसूरत भाग में आपका स्वागत है। जहां आपके पास समय कम और काम ज्यादा है। निरंतर आप पर दबाव निगरानी बनी रहती है और आपको रिलैक्स करने का बमुश्किल मौका मिलता है। ऐसे में आपका अपने जज्बात पर काबू नहीं रहता, नतीजतन आपका मूड इधरउधर डोलता रहता है।

मूड स्विंग एक ऐसा कीड़ा है जिसने सबको काट लिया हैबच्चों, जवान, एग्जीक्यूटिव, गृहिणी वगैरहवगैरह। अगर आप इसे नजरअंदाज करेंगे तो आप गंभीर मानसिक रोगों के शिकार हो सकते हैं जैसे साइक्लोथिमिक या बाईपोलर डिसऑर्डर।

मूड स्विंग की जड़ में विभिन्न भावनाएं होती हैं, जो जिंदगी के लिए आवश्यक भी हैं। मानव जीवन का ताल्लुक बांडिंग से है और मूड इसका पूरक है। मसलन, दुःखभरी स्थिति में लोग हमदर्दी व्यक्त करके एक ताल्लुक या बांड स्थापित करते हैं। लेकिन मूड स्विंग उस समय होता है जब व्यक्ति अतार्किक, अनुचित, समझ में आने वाला या बढ़ाचढ़ाकर कोई भाव व्यक्त करता है। मसलन, किसी शानदार वातावरण में व्यक्ति उत्साह, बेचैनी, उदासी, आाामकता और हताशा के बीच बिना किसी स्पष्ट कारण के डोलता है तो यह मूड स्विंग की वजह से होता है।

विशेषज्ञों के अनुसार गुस्सा या कुंठा मूड स्विंग की शुरूआत कर सकता है। इसलिए लोग गुस्सा प्रबंधन के सत्रों में प्रवेश लेते हैं। लेकिन बदकिस्मती से खुशी की इस चाहत में अक्सर मूड स्विंग के अधिक अवसरों का सामना करना पड़ता है।

दरअसल, मूड स्विंग की बड़ी वजह बदलती जीवनशैली है। इससे हर आयु, वर्ग लिंग के लोग प्रभावित हो रहे हैं। जब जिंदगी की बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं होतींस्वास्थ्य नियमित खाना, सोना, हंसना आदि तो हमारा दिमाग अपने ही पत्ते खेलने लगता है।

आज, एक बच्चे को जल्दी से तेज स्मार्ट होना होता है, क्योंकि वह एक न्यूक्लियर परिवार में रह रहा होता है। जहां अमूमन दोनों पैरेंट कामकाजी होते हैं। कभीकभी तो ये अलगअलग भी रह रहे होते हैं। एक वयस्क को भी कार्यस्थल पर टकराती महत्वाकांक्षाओं के दबाव और घर पर ईगो के टकराव को झेलना पड़ता है। इस बात के पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि जिन लोगों ने कभी शादी नहीं की या तलाकशुदा हैं, वे मूड डिसऑर्डर के शिकार अधिक होते हैं। हार्मोनल, थायराइड, हाई ब्लडप्रेशर या कैंसर की कुछ दवाएं या उपचार भी व्यक्ति को मूड स्विंग के खतरे की श्रेणी में डाल देता है।

बच्चे या वयस्क के साथ के लोग आज उसके जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं। फिर अन्य परेशानी भी है जैसे लतचाहे वह काम की हो या पदार्थ के दुरूपयोग की। नियमित लेट नाइट पार्टियों में शामिल होना भी हमारी भावनाओं पर बोझ डालता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति को सिर्फ सकारात्मक भावनाएं ही विकसित करनी चाहिए। नकारात्मक भावनाओं में भी कोई खराबी नहीं है जब तक कि संतुलन बना हुआ है।

दरअसल, तीन मुख्य कारण हैं जिनकी वजह से कोई मूड स्विंग का शिकार हो सकता हैआत्म स्थिति, व्यक्ति और अतीत। जो लोग बहुत ज्यादा भावुक होते हैं या अपने ऊपर अफसोस करते हैं, वह खतरे की श्रेणी में होते हैं। आत्मा का ताल्लुक व्यक्ति की अपनी बनायी हुई धारणाओं से होता है। किसी विशेष स्थिति में व्यक्ति का बर्ताव उसकी कमजोरी और भावुकता को प्रतिबिम्बित करता है। स्थिति खुशी या दुःखभरी कैसी भी हो सकती है, असल बात यह है कि उसकी प्रतििाया क्या है। जो गुजर गया, वह यादें भी हो सकती हैं, जो अक्सर व्यक्ति को भावनाओं के सागर में तैरा देती हैं। यादें अच्छी हों या बुरी, उनमें डूबने से जज्बात में ही खिंचाव आता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इसका समाधान अपनी भावनाओं को समझने और स्वीकार करने में निहित है। अगर आप अति भावुक हैं तो अपने परिवार के सदस्य, दोस्त, साथी या वरिष्ठ से सलाह लें। वरना, जो चीज आपके मूड स्विंग की शुरूआत करती है, उसकी समीक्षा करें। इसे करने का एक तरीका यह है कि अपने दिमाग में ामवार घटनाओं का निर्माण करें। इस तरह जब आप अपनी भावनाओं को समझ लेंगे तो आप अपने मूड से खेल सकेंगे कि आपका मूड आप से खेलेगा।

डॉ. बी.बी. गिरि

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