यौन-संबंधों में विविधता का नशा

sexuallyकुछ लोग अपने घरेलू सेक्स जीवन या फिर यू कहें कि एक ही साथी से सहवास करने से संतुष्ट नहीं होते और यौन-संबंधों में विविधता की चाह के चलते, वे विवाहेतर संबंध कायम करते हैं। अपने इन नाजायज संबंधों की सफाई में कहने के लिए भी उनके पास कुछ नहीं होता अर्थात्, इसके पीछे कोई कारण नहीं होता, मात्र कामवासना या नयेपन की चाहत ही ऐसे संबंधों की निमित्त होती है। अगर आपका साथी नये-नये प्रेम-संबंध स्थापित करता है तो उसे सेक्स नशेड़ी मानकर किसी विशेषज्ञ से काउंसलिंग करवाना ही बेहतर रहेगा।

दरअसल, विवाहेतर संबंध कायम करने वाला सोचता है कि किसी को इस बारे में पता नहीं चलेगा, लेकिन लोग विशेषकर उसका साथी जान ही जाते हैं। इसमें उनके सहायक होते हैं – मोबाइल फोन और ई-मेल चेकिंग। ऐसे संबंधों को लेकर बवाल उठना तो लाजिमी है। अब सामाजिक या पारिवारिक स्तर पर होने वाले हंगामे से या चाहे किसी अन्य कारण से हो- ऐसे अधिकांश संबंधों की आयु लंबी नहीं होती। हॉं, ऐसे संबंधों की समाप्ति कुछ विशेष स्थितियों में हो सकती है-

दोनों प्रेमी मिल-बैठकर, परस्पर रजामंदी से अपने रिश्ते को एक खूबसूरत-सा मोड़ देकर अलग हो जाते हैं। ङ दोनों में से एक रिश्ता तोड़ना चाहता है जबकि दूसरा उसे छोड़ना नहीं चाहता और उसे तरह-तरह से परेशान करता है। ङ ऐसे रिश्ते को जी-जान से बनाए रखने वाला प्रेमी जब पीछे हटना चाहता है तो आश्चर्यजनक रूप से दूसरा साथी इसे कायम रखने के लिए सिाय हो जाता है। ङ ऐसे कुछ प्रेमियों को तो अपने विवाहित साथी की कमी इतनी अखरती है कि वे अपने नाजायज संबंध को तोड़ने में ही बेहतरी समझते हैं।

इस संबंध में एटवॉटर बताती हैं कि विवाहेतर संबंधों के पीछे समाज तथा हमारे मन-मस्तिष्क में बैठी कुछ भ्रममूलक बातें भी रहती हैं। मसलन- विवाह के बाद एक साथी दूसरे की सामाजिक, भावनात्मक तथा सभी प्रकार की यौन-आकांक्षाओं की पूर्ति करेगा, या फिर पति-पत्नी का आदर्श साथी या सच्चे दोस्त होना जरूरी है तथा विवाहेतर संबंधों के चलते घर उजड़ जाते हैं इत्यादि।

क्या तलाक ही एकमात्र विकल्प है?

अगर विवाहित दंपत्ति में से एक विवाहेतर संबंध स्थापित कर लेता है तो सवाल उठता है कि दूसरा साथी ऐसे में क्या करे? क्या उसके पास तलाक या संबंध-विच्छेद ही एकमात्र विकल्प बचता है? बिल्कुल नहीं। ऐसे में अगर समझदारी से काम लिया जाये तो अपने घर-परिवार को टूटने से बचाया जा सकता है।

यह सही है कि जीवनसाथी द्वारा की गई बेवफाई का पता लगने पर गुस्सा, दुःख, निराशा, अकेलापन, परस्पर बहस तथा गलतफहमियॉं उत्पन्न होने जैसी स्थिति आशानुरूप रहती है, किंतु कहना ना होगा कि यह महज ऊपरी स्तर पर रहती है। अगर आप ऐसी स्थिति के बावजूद अपना परिवार बचाना चाहते हैं, तो गहराई में जाकर ऐसे संबंधों के वास्तविक कारण का पता लगाना होगा और उसका समाधान खोजना होगा।

देखा जाये तो, विवाहित व्यक्ति अपने विवाहेतर संबंधों को लेकर सहज नहीं हो पाते, क्यूंकि उन्हें पता होता है कि इन संबंधों का उनके वैवाहिक जीवन पर क्या प्रभाव होगा? इसके बावजूद, वे विवाहेतर संबंधों में लिप्त होते हैं तो ़जाहिर है कि घर-परिवार के प्रति उनका बंधन उतना मजबूत नहीं है जितना कि होना चाहिए। इसके पीछे निश्चित रूप से कोई गहरा कारण ही होगा। उस कारण का पता लगाना होगा- जो व्यक्तिगत रूप से या फिर परस्पर बातचीत करके भी लगाया जा सकता है। ऐसे में अपने गुस्से और दुःख पर काबू पाना होगा। ऐसा अगर पति और पत्नी दोनों कर सकें, अर्थात् विवाहेतर संबंध में संलिप्त व्यक्ति भी, तो बेहतर होगा। अन्यथा यह समस्या हल नहीं हो सकेगी और परिवार बिखर जाएगा। परिवार के टूटने की नौबत अगर ना भी आई तो भी, एक बार विवाहेतर संबंध-स्थापित हो जाने के पश्चात् वैवाहिक जीवन सुखमय तो नहीं रहेगा।

अतः अपने साथी द्वारा की गई बेवफाई का राज खुलने पर गुस्से में आग बबूला होकर तुरंत तलाक का फैसला ले लेना बुद्घिमानी नहीं है, बल्कि गलती चाहे दोनों में से किसी से भी हुई हो, दूसरे पक्ष को समझदारी से काम लेते हुए, उक्त बेवफाई के कारण को समूल नष्ट कर अपने घर-परिवार को बचाने का प्रयास करना चाहिए। याद रखिये, तलाक को अंतिम विकल्प मानकर चलना चाहिए, क्यूंकि समाज के साथ-साथ कानूनन भी यह रास्ता आसान नहीं बल्कि काफी पेचीदा और पीड़ादायक है।

प्रस्तुति- डॉ. नरेश बंसल

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