शरीर से बाहर निकल कर खुद का अवलोकन

यह अनुभव कई लोग बताते हैं कि उन्हें ऐसा लगा कि वे अपने शरीर से बाहर आ गए हैं और खुद अपने आपको देख रहे हैं। कई लोग यह दावा करते हैं कि किसी शल्य – क्रिया के दौरान उन्होंने अपना शरीर छोड़ दिया था और बाहर से सब कुछ देख रहे थे। मगर युनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन के कुछ शोधकर्ताओं ने एक ऐसी प्रयोग श्रृंखला विकसित की है, जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति यह अनुभव प्राप्त कर सकता है। इस प्रयोग श्रृंखला से यह भी साबित होता है कि उपरोक्त दावे मात्र व्यक्ति की कल्पना शक्ति के ही परिणाम होते हैं।

शरीर से बाहर अनुभव उत्पन्न करने की प्रमुख बात यह है कि आप व्यक्ति की दृष्टि व स्पर्श अनुभूतियों को गड्ड-मड्ड कर दें। ऐसा करने पर दिमाग को ऐसा लगने लगता है कि शरीर कहीं और है।

दृष्टि व स्पर्श संवेदना में इस तरह का घालमेल करने के लिए युनिवर्सिटी कॉलेज के हेनरिक एरसन ने कुछ वालंटियर्स भर्ती किए। उन्हें एक कमरे में फिल्म देखने के लिए बिठाया गया। उनके पीछे एक कैमरा चल रहा था, जिसमें पीछे की ओर से उनकी फिल्म उतारी जा रही थी, जो तत्काल उन्हें दिखाई जा रही थी। यानी वे लोग खुद को ही देख रहे थे, मगर एक अपरिचित कोण से।

इसके बाद एरसन ने एक प्लास्टिक की छड़ लेकर उससे वालंटीयर्स के सीने पर हल्की-हल्की चोट मारी। साथ ही उन्होंने कैमरे पर भी उसी तरह की छड़ से चोट मारी। इस तरह वालंटियर्स यह देख रहे थे कि कोई उन्हें मार रहा है और साथ ही शरीर पर वैसी अनुभूति भी हो रही थी। कुल मिलाकर परिणाम यह हुआ कि उन्हें लगा जैसे वे स्वयं को ही थोड़ी दूर से देख रहे हैं।

शोध पत्रिका साइन्स में इस प्रयोग के परिणाम प्रकाशित करते हुए, एरसन ने बताया कि उन व्यक्तियों को अच्छे से पता था कि सामने पर्दे पर वे खुद ही हैं मगर फिर भी वे यह सोचे बगैर नहीं रह सके कि वे शरीर से बाहर निकल कर खुद को देख रहे हैं। इस तरह की अनुभूति विभ्रम से आपको लगने लगता है कि आप कहीं और हैं या शरीर से बाहर हैं।

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