श्रम का महत्व

यह कहानी प्राचीन मिस्र के एक छोटे से गॉंव की है। इस देश की शहरी आबादी से दूर एक घना जंगल था। यहॉं विभिन्न वनवासी समूहों के लोग रहते थे। यहॉं के लोग पेड़ों के खोडर में, गुफाओं आदि विचित्र स्थानों पर वास करते थे। इन लोगों का वस्त्र धारण करने का ढंग भी विचित्र था। वे सूर्य को अपना दाता मानते थे और सूर्य को “रे’ नाम से जानते थे।

एक दिन गॉंव की महिलायें पहाड़ियों के पास खड़ी होकर “”चम टपाक ढम गपाक रा रा रे रे रे ऽऽऽ……” मंत्र का जाप करने लगीं। वास्तव में ऐसा करने के लिए उन्हें एक साधु ने कहा था। इस साधु का नाम था ढम। इस मंत्र का जाप करने का उनका मकसद था कि वे अपने दाता “रे’ के सहायक “रे़ज’ का दर्शन पा सकें। यह यज्ञ 18 दिनों तक चलता रहा। इससे “रे’ बहुत प्रसन्न हुए और अपने सहायक “रे़ज’ को इन लोगों के पास भेजा।

“रे़ज’ नीचे उतर आये और अपनी भाषा में उनसे कुछ कहा, जिसका अर्थ था कि “”धरती वासियों! मुझसे जो चाहो मांग लो। हम तुम्हारी पूजा से अति प्रसन्न हैं। अब जो चाहो वरदान मांग सकते हो। लेकिन तुम में से कोई एक ही वरदान मांग सकता है।”

वह लोग असमंजस में पड़ गये कि किसे मौका दिया जाये वरदान मांगने का। अंत में उन्होंने निर्णय लिया कि वे अपने गॉंव के मुखिया की पत्नी को यह मौका देंगे। क्योंकि वही सबसे अधिक भरोसे के लायक थी। लेकिन उस जंगल के लोग यह नहीं जानते थे कि वह औरत कठोर और मतलबी थी।

उस औरत ने “रे़ज’ से अपनी भाषा में कुछ कहा जिसका अर्थ था कि मुझे एक ऐसी छड़ी दे दो जिससे सब कुछ प्राप्त कर लिया जाए, बिना श्रम किये ही। बिना श्रम किये आराम की जिंदगी जीने वाली बात “रे़ज’ को पसंद नहीं आयी। पर वह असहाय हो गये। उन्हें अपना वचन पूरा करना था। इसलिए उन्होंने उस औरत को ऐसी छड़ी थमा दी। तब “रे़ज’ वापस लौट गये।

वह औरत जब बाकी लोगों के पास पहुँची तो उन लोगों ने उससे पूछा कि उसने देवता से क्या मांगा। उस औरत ने कहा कि उसने अपने कबीले वालों की सलामती की विनती की है। गांव के लोग यह सुनकर खुश और सन्तुष्ट हो गये। वह औरत जादुई छड़ी पाकर बहुत प्रसन्न थी। उसके इस धोखे के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी।

एक दिन उसने उस छड़ी से मॉंगा कि “रे’ देवता नीचे उतर आयें और उसे अपना दर्शन दें। उस मांग को छड़ी ने स्वीकारा और “रे’ देवता नीचे उतर आये। उनकी उग्र किरणों से सारा गांव जलने लगा, सारे जंगल के झाड़ और झोपड़ियां जल गये और लोगों के शरीर पर भयानक जलन होने लगी। सारे लोग फिर से “”चम टपाक ढम गपाक रारा रे रे ऽऽऽ…” मंत्र जपने लगे। सूर्य लौट गये और “रे़ज’ प्रकट हो गये। गांव वालों ने उनके इस तरह कुपित होने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्होंने तो वही दिया है, जो उनकी प्रतिनिधि महिला ने मांगा था। सारे लोग गुस्सा हो गये। उन लोगों ने जब इस कोप को दूर करने का उपाय पूछा तो उन्होंने बताया कि इसका हल उस छड़ी के नष्ट करने में ही है। इसलिए सारे लोगों ने उस छड़ी को तोड़ कर जला दिया। इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि श्रम के बिना सुख, सुख नहीं होता। वह कुछ समय में ही दुःख बन जाता है।

ऐश्वर्या जोशी

You must be logged in to post a comment Login