सब्जियों के है कई विकल्प

बढ़ती महंगाई ने इकनॉमी कुकिंग के लिए लोगों को मजबूर कर दिया है। अगर आप अब तक इसका हिस्सा नहीं बने हैं, तो फौरन बन जाइये। इसलिए अगली बार जब आप सब्जियों व फलों के छिलकों को कूड़ेदान में फेंकने जाएं, तो एक बार फिर सोच लीजिए। उनसे खाना बनाने के दिलचस्प प्रयोग किए जा सकते हैं और यह पौष्टिक तत्वों का अच्छा स्रोत भी हैं।

दूधी

यह कुछ खास ़जायकेदार सब्जी नहीं है, लेकिन इसके छिलके से जबरदस्त व दिलचस्प प्रयोग किए जा सकते हैं। इसके छिलके से जो डिश तैयार की जा सकती है, वह इसकी सब्जी से भी अधिक स्वादिष्ट होती है।

दूधी पर से मोटा छिलका उतार लें। इसके बाद छिलके को ही छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। थोड़ा-सा सरसों का तेल कड़ाही या नॉन-स्टिक पैन में गर्म कर लें और उसमें चुटकी भर सरसों के बीज डाल दें। अब इसमें दूधी के छिलके डाल दें और कुछ नमक व पौपी सीड्स के साथ हल्के से फ्राई करें। जब छिलके अच्छी तरह से पक जाएं, तो आग बंद कर दें। इस डिश को आप चावल व चपातियों के साथ खा सकते हैं।

आलू

इस सब्जी में कुछ भी जंक नहीं है। हम जो भी डिश कुक करते हैं, उसमें किसी न किसी सूरत में आलू मिला ही देते हैं। इसलिए क्यों न आलू के छिलकों को एकत्र करके बढ़िया स्नैक्स तैयार कर लिया जाए।

आलू पर से मोटा छिलका उतार लें। छिलके के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। थोड़ा-सा सरसों का तेल पैन में गर्म कर लें। तेल में कुछ सरसों के बीज या काला जीरा डाल लें और कटे हुए छिलके भी। थोड़ा-सा नमक और पौपी सीड्स डालकर हल्का-सा फ्राई कर लें, जब तक छिलके पक न जाएं। सर्व करने से पहले पिसी हुई लाल मिर्च छिड़क सकते हैं। पोटेटो फ्राई की तरह छिलका फ्राई भी जायकेदार स्नैक्स बनाता है। पराठों के साथ और मजा आता है।

तुरई

पसलीदार तुरई डिनर टेबिल पर शानदार डिश के तौर पर सामने नहीं आती। इसके सख्त छिलके व अजीबोगरीब डिजाइन से भी निपटना आसान नहीं होता। इसलिए गर्मियों की धूप की तरह लोग इससे बचते हैं। लेकिन अगर यह सब्जी आपके घर आ जाए, आप इसके छिलके को उतारने की भी सफल कोशिश कर लें, तो फिर बेहतर यही होगा कि उसका अधिकतम इस्तेमाल किया जाए।

तुरई पर से मोटा छिलका उतार लें। छिलके के लगभग 2 इंच लम्बे टुकड़े कर लें। डीप फ्राई करें। तेल निकालने के बाद छिलकों पर नमक, अमचूर और लाल मिर्च का पाउडर छिड़क दें। इस दिलचस्प स्नैक्स को किसी भी समय खाया जा सकता है।

करेला

अब करेले को पकाने से पहले कोई उसे छीलता नहीं है। लेकिन अगर आप ऐसे लोगों से घिरे हुए हैं, जो इस सब्जी की कड़वाहट को हटाने के लिए आपको उसका छिलका हटाने के लिए मजबूर करते हैं तो आप वही छिलका उनको दूसरे अंदाज में खिला सकते हैं।

करेले के छिलके में कुछ नमक व हल्दी पाउडर मिलाकर थोड़ी देर के लिए अलग रख दें। पानी निचोड़ कर अलग कर दें और बेसन, आटा, तेल, हल्दी व मिर्च पाउडर में अच्छी तरह से मिश्रित कर लें। इसे थोड़ा-सा टाइट गूंथ लें। फिर इसके छोटे-छोटे से पेड़े बनाकर िास्प होने तक डीप फ्राई करें। अदरक की गर्म चाय के साथ इसे खाएं।

तरबूज

गर्मियों में यह सबसे ठंडा फल है, लेकिन क्या कभी आपने इसके मोटे छिलके के अंदरूनी भाग को खाने का प्रयास किया है? शायद नहीं। इस रसभरे लाल हिस्से की तरह तो जायकेदार नहीं होता, लेकिन फिर भी स्वादिष्ट लगता है।

छिलके का बाहरी हरा छिलका फिर से उतार लें। अब जो हिस्सा बचा है, उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। पैन में थोड़ा-सा व्हाइट ऑयल गर्म कर लें और उसमें थोड़ा-सा जीरा मिला लें। स्वाद के लिए नमक और मिर्च मिला लें। अच्छी तरह से मिलाने के बाद पांच मिनट तक ढककर पकायें, बीच-बीच में उसे चलाते भी रहें। यहां मसालों के साथ थोड़ा-सा प्रयोग किया जा सकता है। मसलन, तीखा जायका चाहिए, तो अमचूर पाउडर डाल लें। जब अच्छी तरह से पक जाए तो ऊपर से ताजा कटे हुए हरे धनिये की पत्तियां डाल दें। चावल या चपाती के साथ सर्व करें।

खरबूजा

खरबूजे के छिलके को फेंक दें, लेकिन बीजरहित बीच का गूदा जो है, उसे न फेकें। थोड़े से प्रयास से वह चबाने के लिए स्वस्थ विकल्प बन सकता है।

गूदे को पानी में मिलाकर रात भर रखा रहने दें ताकि बीज आसानी से अलग हो जाएं। बीजों को सुखा लें। फिर बीजों को छीलकर स्टोर कर लें। इन्हें माउथ फ्रेशनर या घर की बनी मिठाई पर गार्निश के तौर पर इस्तेमाल करें।

  • ज्यादातर फलों व सब्जियों के छिलकों में फाइबर अधिक होता है, इसलिए छिलकों की बनी डिश के बहुत फायदे हैं, मसलन यह कब्ज दूर करती हैं।
  • छिलकों में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जिससे शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ती है और प्रदूषण से भी बचाव होता है।
  • कुछ छिलकों में बीटा-कैरोटीन होता है, जिससे विटामिन ए बनता है। दूधी के छिलके में विटामिन के होता है, जो दिल के लिए मुफीद है।
  • जहां तक बीजों की बात है तो उनमें फल व सब्जी से अधिक प्रोटीन होता है और इसलिए हमेशा अधिक पौष्टिकता का स्रोत होते हैं।

– करमचंद

You must be logged in to post a comment Login