आत्मा इस संसार रूपी मुसाफिरखाने में आई कहॉं से?

जो आत्मा रूपी अविनाशी चेतन सत्ता है, यह संसार रूपी मुसाफिरखाने में आयी कहॉं से है और आखिर इसे जाना कहॉं है? यह सृष्टि रूपी कर्मक्षेत्र में अथवा कर्मेन्द्रियों के संग्रह रूप देह में उतरी कहॉं से है और अन्त में खेल खत्म होने पर यह लौटेगी कहॉं? इसका वास्तविक ठिकाना अथवा बसेरा कौन-सा है, जिसे अब यह भूल चुकी है? प्रकृति से भिन्न यह किसी और ही लोक में इस संसार में क्रीड़ा करने अथवा यहॉं के दृश्य देखने आयी होगी।

– ब्रह्माकुमारी

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