देश के भव्य व विशाल मंदिर आस्था ही नहीं, आमदनी के भी केन्द्र

देश के भव्य व विशाल मंदिर आस्था ही नहीं, आमदनी के भी केन्द्र

तीर्थ-स्थल सिर्फ लोगों की आस्थाओं से ही जुड़े हों, ऐसा नहीं है। तीर्थ-स्थलों और मंदिरों के सहारे इनका प्रबंधन साल दर साल करोड़ों की कमाई भी कर रहा है। भगवान वेंकटेश्र्वर मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, माता वैष्णो देवी तथा तिरूमाला तिरूपति देवस्थानम टस्ट सरीखे अनगिनत मंदिर-टस्ट आदि हैं, जहां दान-पुण्य और मन्नतों के रूप में करोड़ों […]

पौष मास की पुत्रदा एकादशी

पौष मास की पुत्रदा एकादशी

पुत्रदा एकादशी का व्रत पौष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को करना चाहिए। इसकी कथा इस प्रकार है – एक बार युधिष्ठिर महाराज ने श्री कृष्ण से पूछा कि श्रीकृष्ण! कृपा करके पौष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का माहात्म्य बतलाइये। उसका नाम क्या है? उसे करने की विधि क्या है? उसमें किस देवता का […]

मुरादें पूरी होती हैं नौगजा पीर पर

मुरादें पूरी होती हैं नौगजा पीर पर

दिल्ली से अंबाला जीटी रोड जाते समय अंबाला तथा शाहबाद के बीच एक नदी के तट पर नौ गजा पीर (सैयद हाफिज मो. इब्राहिम) की दरगाह बनी हुई है। वैसे तो यहां से गुजरने वाला हर श्रद्घालु मस्तक नवाता है, परन्तु अधिकतर टकों के डाइवर तो विशेष रूप से मत्था टेक कर जाते हैं। मुख्य […]

महुवा का भवानी मंदिर जहॉं से श्रीकृष्ण ने रूक्मिणी का हरण किया था

महुवा का भवानी मंदिर जहॉं से श्रीकृष्ण ने रूक्मिणी का हरण किया था

भावनगर जनपद (गुजरात) के महुवा कसबे के पास अरब सागर के किनारे स्थित भवानी मंदिर से द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण ने रूक्मिणी का हरण किया था। इसी स्थान पर मॉं भुवनेश्र्वरी ने ब्रह्मा को भ्रम में डालकर बाद में उनकी दुविधा दूर की थी। इन ऐतिहासिक व धार्मिक िायाओं का गवाह रहा अरब सागर, अपनी […]

साधना व तपस्या में डूबने का आनंद

साधना व तपस्या में डूबने का आनंद

तप एवं साधना का संबंध मन से होता है। मन में यदि इनके प्रति तीव्र अभीप्सा उठे, तो ही साधना सधती है, तपस्या प्रारंभ होती है। शरीर तो इन सबका एक माध्यम है, शेष सारी चीजें तो मन से होती हैं। शरीर इस पावन-कार्य में बाधा न बने, इसलिए उसे स्वस्थ और सबल बनाए रखना […]

ये पति

एक सुन्दर, गोरी, कमसिन चंचल पत्नी ने अपने श्यामवर्णी पति से पूछा सुनोजी, जब मैं ना रहूँगी क्या आप पुनः ब्याह रचाओगे मेरी जगह किसी अन्य को इस घर की लक्ष्मी बनाओगे?   बात सुनकर पत्नी जी की पति जी ने विस्मय से उनको देखा देख पूरे होते अधूरे स्वप्न हृदय की उठती तरंगों को […]

वास्तविकता

हमारे बदन में तब सिहरन नहीं होती जब हम आपस में मिल बैठ कर अपने पुऱखों की जमीन बॉंटते हैं तब भी हमें सिहरन का आभास नहीं होता जब अपनी सुविधाओं के लिए हरे भरे जंगलों को निर्दयता से काटते हैं मगर जब हम इन बांटने और काटने के दूरगामी दुष्परिणामों पर एकांत में बैठकर […]

वापस – अरुण कमल

घूमते रहोगे भीड़ भरे बा़जार में एक गली से दूसरी गली एक घर से दूसरे घर बेव़क्त दरवा़जा खटखटाते कुछ देर रुक फिर बाहर भागते घूमते रहोगे बस यूं ही लगेगा भूल चुके हो लगेगा अंधेरे में सब दब चुका है पर अचानक करवट बदलते कुछ चुभेगा और फिर वो हवा कॉंख में दबाए तुम्हें […]

तुम बहुत कुछ हो

तुम कुछ नहीं हो मेरी, और बहुत कुछ हो, और सच क्या होगा? जब तुम ही एक सच हो खुशियों की कली हो या, रात चांदनी तुम हो, हार नहीं तुम गले पड़े जो, एक पुष्प गुच्छ तुम हो तुममें देखा मंदिर मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा भी संदेश तुम्हीं हो जीवन का, तुम हो मेरी जीवनधारा, […]

टिप्पणी – एफ. एम. सलीम

छंद और मात्रा की बंदिशों को तोड़ कर भावनाओं की अभिव्यक्ति करें अगर कोई यह कहे कि निडरता से किया है! तो हम कहेंगे, वह कविता है!   इसी कविता के समर्थक और प्रवर्तक तेलुगु के विख्यात क्रांतिकारी कवि श्री श्री की कुछ कविताएं पढ़ते हुए लगा कि वह कविता में ही नहीं बल्कि जीवन […]

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