चार मुक्तक – अनुप भार्गव

प्रणय की प्रेरणा तुम हो
विरह की वेदना तुम हो

निगाहों में तुम्हीं तुम हो

समय की चेतना तुम हो

 

तृप्ति का अहसास तुम हो

बिन बुझी सी प्यास तुम हो

मौत का कारण बनोगी

जिन्दगी की आस तुम हो

 

सुख-दुःख की हर आशा तुम हो

चुंबन की अभिलाषा तुम हो

मौत के आगे जाने क्या हो

जीवन की परिभाषा तुम हो

 

सपनों का अध्याय तुम्हीं हो

फूलों का पर्याय तुम्हीं हो

एक पंक्ति में अगर कहूं तो

जीवन का अभिप्राय तुम्हीं हो

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