दूध – प्रभा माथुर

डेयरी से मैं जाकर लाया,

दूध के पैकेट पूरे चार।

मॉं ने चढ़ाई बड़ी कढ़ाई,

सारे दूध को लिया उबाल।

एक कटोरा ठंडा करके,

मॉं ने मुझे पिलाया।

एक कटोरा दही जमाया,

सबने मिलकर खाया।

एक भगोने गरम दूध में,

नींबू का रस डाला।

दूध फट गया, पानी छाना,

और पनीर निकाला।

आधे पनीर की बन गई सब्जी,

आधे के रसगुल्ले।

रस के ऊपर तैर रहे थे,

सब थे फूले-फूले।

दही बिलोया, मक्खन निकला,

मक्खन से फिर बन गया घी।

खोया बन गया, बनी मिठाई,

मॉं पूरी हलवाई जी।

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