अहसास

Ehsasसीमा, तुम काफी दिनों से बाहर घूमने जाने के लिए कह रही थीं ना, तो इस रविवार को चलेंगे। मुकेश अखबार के पन्ने पलटते हुए बोला। “”लेकिन बेटा, इस बार तो तुमने मुझे डॉक्टर के पास ले जाना है।” पास बैठी अम्मा ने कहा। “”ओहो! मां जी पिछले महीने ही तो आपका चैकअप करवाया था और डॉक्टर तो ऐसे ही कहते रहते हैं”, कहती हुई सीमा रसोई की ओर चली गयी।

बहू के मुंह से यह सुन अम्मा अपने कमरे में चली गयीं, जहां बाऊजी आराम कर रहे थे।

अम्मा पुरानी यादों में गुम हो गई, तभी पोता कर्ण उनकी गोद में आकर खेलने लगा।

शाम को कर्ण के साथ बाऊजी पार्क से लौटे और बहू को चाय बनाकर देने के लिए कहा। चाय नहीं आयी तो उन्होंने देखा कि सीमा फोन पर बात कर रही थी। वे खुद ही चाय बनाने लगे और कांपते हाथों से कप गिरकर टूट गया। सीमा बस उन पर बरस पड़ी।

इस घटना के बाद बाबूजी व अम्मा ने फैसला किया कि वे यहॉं न रहकर गॉंव में चले जाएँगे। बेटे और बहू ने उन्हें रोकने का तनिक भी प्रयास नहीं किया, केवल कर्ण की, आँखों में ही आँसू थे।

अपना घर छोड़ते समय बाऊजी यह सोच रहे थे कि बहू-बेटा उनकी खूब सेवा करेंगे और उन्होंने ा़र्ंिजन्दगी में जितने भी कष्ट उठाये हैं, वे भूल जायेंगे, लेकिन बेटे एवं बहू को उनका बुढ़ापा एवं लाचारी बोझ लगने लगी।

अम्मा व बाऊजी के जाने के बाद केवल उनका पोता ही उनको याद करता था। एक दिन जब मुकेश अम्मा व बाऊजी के कमरे को ताला लगा रहा था तो कर्ण ने मासूमियत से पूछा, “”पापा, अम्मा व बाऊजी इस बाहर वाले कमरे में क्यों रहते थे?” “”बेटा वे बूढ़े हो गये थे और सारी रात खांसते रहते थे, इसलिए यहॉं रहते थे।” मुकेश ने जवाब दिया। “”तो ठीक है पापा जब आप और मम्मी बूढ़े हो जाओगे तो आपको भी सारी रात खांसी होगी और तो फिर आप लोग भी इसी कमरे में रहेंगे!” कर्ण की इस बात ने मुकेश और सीमा को हिलाकर रख दिया और उन्हें अहसास दिला दिया कि उन्होंने अम्मा और बाऊजी के साथ न्याय नहीं किया है।

अगले ही दिन वे तीनों उन्हें लेने गांव चल दिये। पहले तो बाऊजी ने मना कर दिया। लेकिन जब सीमा गिड़गिड़ाकर रोने लगी तो बाऊजी मान गये और बोले, “”बेटी, तुम्हारे पश्र्चाताप ने तुम्हें गलती का अहसास करवा दिया।” फिर सभी चल दिये फिर से एक साथ रहने के लिए।

– कपिल वत्स

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