फूल से चेहरे को आँचल में छुपा कर रखना – लतीफ ‘आरजू’ कोहीरी

नियतें ठीक नहीं खुद को बचाकर रखना

आज के दौर में हर कोई है सहमा-सहमा

दिल मिले या न मिले हाथ मिलाकर रखना

बेवफा व़क्त है कब जाने दगा दे जाए

आज के काम को कल पर न उठाकर रखना

भटक न पाए कोई रास्ता चलते-चलते

घर की दहलीज पे कंदील जला कर रखना

दोस्ती भूल के नादान से करना न कभी

नादान दुश्मन हो तो हर राज़ छुपा कर रखना

काम आ जाए किसी व़क्त निशानी अपने

घर में तस्वीर भी पुरखों की लगा कर रखना

ख्याल इतना लतीफ़ “आरजू’ रहे हर दम।

राह चलना हो तो नजरों को झुका कर रखना

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