गुरु – हर्षिता मोहन

वो गुरु ही तो है जिसने हमें

विद्या धन दिया,

एक-एक अक्षर से शुरू कर

पुस्तक पढ़ना सिखा दिया।

विद्या बिना मानव

पशु जैसा होता है,

कैसे भुला सकते हम

जिसने नवोन्मेषी ज्ञानवान

बना दिया।

विनय से विद्या आती

अकड़ से कुछ नहीं आता

गोविंद से बड़ा गुरु है।

गुरुभक्ति ही तो है

जिसने एकलव्य को

धर्नुधर बना दिया।

फैलाएँगे ज्ञान की गरिमा

करेंगे नाम रोशन

सभ्य शिक्षित बनाने वाले गुरु का।

अज्ञानता का तिमिर हटाएँगे

फैलाएँगे ज्ञान का उजियारा।

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