क्षमा : जिसमें समाहित हैं कई गूढ़ अर्थ

Syamaकिसी को क्षमा करना या किसी व्यक्ति से क्षमा मॉंगना दोनों ही कार्य अत्यधिक साहस, हिम्मत व विशाल हृदय होने पर ही पूर्ण हो सकते हैं। क्षमा की सीधी-सादी परिभाषा है – माफ करना या अपने कृत्य के लिए माफी मॉंगना अथवा प्रायश्र्चित करना। दूसरों की भूल को क्षमा करना फिर भी आसान है, परंतु अपनी भूल या गलती बताने वाले को माफ करना बहुत ही कठिन कार्य है। गलती किससे नहीं होती। सवाल यह है कि सामने वाला उसे किस रूप में लेता है। साधारण या दुश्मनी या झगड़ा। परंतु कुछ भी निर्णय लेने के पहले ठंडे दिमाग से विचार करना चाहिए। दोस्त की, सहयोगी की, अधिकारी की या कर्मचारी की छोटी भूल, अपराध या कृत्य को हम अपने दिमाग में स्थान देकर अपना ही दिमाग खराब करते हैं।

अगर सामने वाला अपने कृत्य के लिए आपसे क्षमा मॉंगता है, तो उसे तुरंत क्षमा कर दें। इससे दोनों का बोझ कम हो जाएगा और संबंध सरल बने रहेंगे।

क्षमा करने वाले को अकड़ना नहीं चाहिए कि मैंने माफ कर दिया, मैं बड़ा आदमी हूँ। माफी भी विनम्र स्वरूप में दी जानी चाहिए और इस बात का ध्यान रहे कि उसे यह अहसास न कराया जाए कि आप माफ करके उसके ऊपर अहसान कर रहे हैं, बल्कि परस्पर सहयोग रखना चाहते हैं।

वैज्ञानिक शोध के अनुसार द्वेष व्यक्ति के भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास को रोक देता है। जो लोग अपने को ठेस पहुंचाने वाले, अपमानित करने वाले व्यक्ति को माफ नहीं करते, वे इस घटना का बोझ अपने साथ ढोते हैं और अपनी ऊर्जा इस बोझ को ढोने में खर्च कर देते हैं। माफी आपके भले के लिए है, चोट को दिल से लगाए रखना दूसरे के बनिस्बत अपने आपको अधिक तकलीफ पहुंचाता है। यह आपकी मानसिक शान्ति को ठेस पहुंचाती है। क्षमा या माफी एक ऐसी रामबाण दवा है, जो गहराई तक जाकर घावों का इलाज करती है। वह प्रेम व सौहार्द को खत्म करने वाले धीमे जहर को खत्म कर देती है। माफी नहीं देना, क्षमा नहीं करना हमारे शरीर में हार्मोनल परिवर्तन पैदा करती है, जो शरीर के लिए घातक है। क्षमा मांगने में विलंब नहीं करना चाहिए, नहीं तो क्षमा मॉंगना कठिन हो जाएगा। खुले दिल से अपनी गलती स्वीकार की जाए। क्षमा करते समय भी किसी प्रकार के तल्ख भाव या उसको गलती का अहसास कराने की चेष्टा न करें। गले मिलकर, मौन रूप से भी गिले-शिकवे दूर किये जा सकते हैं। इस दुनिया में उन्हें खुशी नहीं मिलती, जो अपनी शर्तों पर ज़िंदगी जीते हैं, बल्कि उन्हें खुशी मिलती है, जो दूसरों की खुशी के लिए िजदगी की रफ्तार बदल लेते हैं, शर्तें बदल देते हैं। दो अक्षर का शब्द “क्षमा’ अपने अंदर गूढ़ अर्थों को समाए हुए है।

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