मैडम गर्मी – मीरा हिंगोराना

गर्म हवा की छड़ी उठा,

गुस्से में गर्मी आई,

धूल-मिट्टी आँखों में आई।

छक्के-चौके सूरज मारे,

चाय और काफी छूटी जाए,

कुल्फी-लस्सी ही इतराए।

गला सूख हुआ कांटा,

गर्म हवा का पड़ा जो चॉंटा

मौसम ने बदले रंग-ढंग।

गर्मी ने तो प्यास बढ़ाई।

गुस्से में गर्मी आई…..।

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