मई का महीना – सुमन पाटिल

गर्मी के दिन

मई का महीना

आग उगलता सूरज

पिघलती सड़क

भागते-दौड़ते लोग

पसीने से तरबतर

चारों ओर

मोटर गाड़ियों का शोर

सुबह से शाम निरंतर,

गगनचुंबी इमारतें

मंज़िलों पर मंज़िल

छोटे-छोटे घर

छोटा-सा परिवार,

बंद सब खिड़कियॉं

झांकती न चांदनी

छत नहीं न आंगन

कूलर पंखे की घर्र-घर्र

रातभर,

नींद में डालते खलल

मच्छर,

घुटनभरी िजदगी

मुश्किल है जीना

मई का महीना।

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