वायुदेव वैदिक देवता हैं। वायु और इंद्र की घनिष्ठ मित्रता है। ये विराट् पुरुष के श्र्वास से उत्पन्न हुए हैं। ये त्वष्ट्री के जामाता कहे गये हैं। ये मनुष्य में प्राण रूप में रहते हैं। ये हनुमान् तथा भीम के पिता कहे गये हैं। अंजना रूप में पृथ्वी पर घूमती अप्सरा पुंजिकस्थली को देखकर वायुदेव कामातुर हो उठे और उससे संभोग किया, जिससे हनुमान का जन्म हुआ।
दुर्वासा से प्राप्त मंत्र-विद्या के बल पर वायु का स्मरण करके कुंती ने भीम को अपने गर्भ में पाया।
कुशनाभ की सौ पुत्रियों को वायुदेव ने कुब्जा बना दिया।
एक बार नारद के उत्साहित करने पर इन्होंने सुमेरु का शिखर तोड़कर समुद्र में फेंका डाला। वही लंकापुरी बन गया।
– डॉ. एन.पी.कुट्टन पिल्लै
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