पुस्तक – डॉ पंडित विनय कुमार

कितनी प्यारी मेरी पुस्तक

कितनी न्यारी मेरी पुस्तक।

बुद्धि सदा बढ़ाती पुस्तक,

सबको सुखी बनाती पुस्तक।

अच्छी बात बताती पुस्तक,

सदाचार सिखलाती पुस्तक।

सुबह नित्य हम मन से पढ़ते,

इसमें लिखी बातें हम गुनते।

क्षमा, दया, तप, त्याग गुणों का,

शिक्षा देती प्रतिदिन पुस्तक।

कितनी प्यारी मेरी पुस्तक,

कितनी न्यारी मेरी पुस्तक।

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