घड़ी की रफ्तार

Speed Of Watchवह चलता रहता है, निरंतर… दिन फिर रात और फिर दिन… दोस्तों! दिन-रात की अजीब गुत्थी जब मानव मस्तिष्क में प्रश्न बनकर खड़ी हुई, तो उसने सर्वप्रथम सूर्य, चंद्रमा, ग्रहों और तारों से दोस्ती की। समय की यात्रा को नापने के लिए अक्ल दौड़ाई गई। पहले सूर्य की परछाईं से दिनों को दो भागों में बांटकर समय को पढ़ने की कोशिश की गई और फिर 3,500 ईसा पूर्व दिन को दोपहर व शाम जैसे टुकड़ों में बांटा जाने लगा। जैसे-जैसे विकास होता गया मनुष्य भी मौसम, साल, महीने, दिन और समय के एक-एक पल को अलग करता गया। समय को नियंत्रित करने की उसकी इसी चाहत ने घड़ी को जन्म दिया।
घड़ी के आज के स्वरूप तक की यात्रा पर आइए एक नज़र डालते हैं –
500-300 ई.पूर्व, मिस्र में पहली बार सूर्य घड़ी का उपयोग किया गया।
400 ई.पू. – ग्रीस के लोग पत्ती की घड़ी से समय का पता लगाने लगे।
980 ई. – राजा एलेड जलती हुई मोमबत्ती से समय का निर्धारण करते थे।
1583 ई. – गैलीलियो ने महसूस किया कि पेंडुलम के हिलने की आवृत्ति उसकी लंबाई पर निर्भर करती है।
1657 ई. – िास्टिएन … हाइगंस ने पहली पेंडुलम घड़ी बनाई।
1838 ई. – लुईस ऑडीमार्स ने पेंचदार घड़ी और उसकी यांत्रिकी की खोज की।
1868 ई. – पैटेक फिलिपी ने पहली रिस्टवॉच का आविष्कार किया।
1888 ई. – कॉर्टियर ने पहली लेडीज़ रिस्टवॉच बनायी।
1902 ई. – पहली ओमेगा रिस्टवॉच बनी। जर्मनी में 93000 घड़ियां बिकीं।
1914 ई. – पहली अलार्म रिस्टवॉच एटरना द्वारा बनाई गई।
1923 ई. – पहली ऑटोमेटिक रिस्टवॉच जॉन हार्डवुड द्वारा बनाई गई।
1925 ई. – पैटेक फिलिपी ने कैलेंडर युक्त रिस्टवॉच बनाई।
1927 ई. – पहली वाटर रेसिस्टेंट घड़ी का निर्माण रोलैक्स ओएस्टर ने किया।
1930 ई. – महिलाओं के लिए छोटे आकार की घड़ियां बनाई गईं।
1945 ई. – रोलेक्स डेट ने पहली ऐसी घड़ी बनाई, जिसमें तारीख भी थी।
1946 ई. – ऑडीमार्स पिग्वेट ने दुनिया की सबसे पतली घड़ी बनाई।
1953 ई. – लिप्स ने पहली बार बैटरी से चलने वाली घड़ी बनाई।
1957 ई. – हैमिल्टस… ने पहली इलेक्ट्रानिक वॉच का निर्माण किया।
इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों के आगमन के कारण वॉच इंडस्ट्री में काफी बदलाव देखने को मिला। 1966 तक घड़ियों की तकनीक में एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन आया। स्विस कंपनियों ने क्वाट्र्ज घड़ियों की खोज की, जो काफी सस्ती भी थीं। 90 के दशक में पीए टाइम इंडस्ट्री की मैक्सिमा कंपनी ने “एक्वा गोल्ड’ और “स्कूबा’ जैसी ब्रांडेड घड़ियां ईजाद कीं, जो दुनिया भर में मशहूर हैं। आज ढेरों प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल घड़ियां मौजूद हैं। जिनमें कम्प्यूटर गेम, मोबाइल, टीवी के साथ कई तरह की ऐसी सुविधाएं शामिल हैं, जो समय को बताती ही नहीं बल्कि उस पर अपनी पकड़ भी रखती हैं।
– मनीष शुक्ला

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