तरु लगाओ – लालता प्रसाद मिश्र लाल

शीतल छाया का सुख पाओ, सुन्दर फूल और फल खाओ

अमल-विमल परिवेश बनाओ, भूमि प्रदूषण मुक्त कराओ

सुत से बढ़कर सेवा करते, सदा जीवनी शक्ति संजोते

सबसे बढ़कर प्रत्युपकारी, खुशबू से इनकी सुख पाओ

तरु कम से कम पांच लगाओ।

इनका अंग-अंग उपयोगी, करते हमको यही निरोगी

सीख सदा ये सिखलाते हैं, जीवन में विनम्र बन जाओ

जन्म-मरण के ये साथी हैं, दूल्हा-दुल्हन बाराती हैं

संस्कृति-संस्कार दर्शाते, इनको कभी नहीं बिसराओ

तरु कम से कम पांच लगाओ।

पत्ते-पत्ते प्यार लुटाते, सबके हित में प्राण गंवाते

देते हैं उपहार सभी को, इनसे समरसता शुभ पाओ

तन-मन सारा इनका अर्पित जड़ से लेकर शिखर समर्पित

हर प्राणी के यही सहारे, प्रकृति सन्तुलन इनमें पाओ

तरु कम से कम पॉंच लगाओ।

पानी-वायु सभी के दाता, चन्दन-शहर पथ्य से नाता

आतप में भी भरते आशा, उपजाऊ धरती करवाओ

जंगल हैं पर मंगल करते, देते सदा नहीं कुछ लेते

सबको स्वस्थ सुखी तरु करते, इनका जीवन खुद अपनाओ

तरु कम से कम पॉंच लगाओ।

हर प्राणी के पालक पोषक, वेदज्ञान, गुरुकुल के शोधक

विनय विभूति रोग अवरोधक “लाल’ इन्हीं सम पुण्य कमाओ

दाता यही विधाता जग के, माता-पिता सुभ्राता दुःख के

पत्र-पुष्प हम इन पर वारें, विच्छेदन मत करो-कराओ

तरु कम से कम पांच लगाओ।

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