उन्नति के रास्ते

अगर आपको कार्य क्षेत्र में आगे बढ़ना है, उन्नति करनी है और हमेशा एक ही पद पर चिपके नहीं रहना है, तो अपनाइये ये सुझाव -अपने कार्य व आचरण से अपने ऑफिस के साथियों, मालिक या बॉस को प्रभावित कीजिए।

  • आपके काम करने का ढंग ऐसा होना चाहिए कि कोई भी तारीफ किये बिना न रह सके। यदि प्रतिद्वंद्वी चाहें भी तो आपके काम में नुक्स न निकाल सकें।
  • अपनी गलती को न्याय संगत दिखाने के लिये न सफाई दें और न ही उसका जिम्मेदार किसी और को ठहरायें। यदि आप से काम में कहीं कोई गड़बड़ी हो जाती है, तो उसको स्वीकार कर लीजिए। अपने बचाव में निरर्थक सफाई न दें, क्योंकि किसी भी तरह की सफाई देने से या बचाव के लिए उल्टे-सीधे बहाने से आपके बॉस को गुस्सा ही आयेगा। बेहतर है कि अगर आपकी गलती है, तो तुरन्त उसे मान लीजिए। उसको गम्भीरता से लीजिए और भविष्य में उसे न दोहराइए।
  • अगर आपसे काम में कोई गड़बड़ी हो जाती है, कुछ गणनाएँ गलत हो जाती हैं या कोई फाइल घर पर ही छूट जाती है या कोई जरूरी कागज खो जाता है, तो अपने बॉस से यह मत कहिए कि सर, फलॉं बैठा था, उसी के चक्कर में गड़बड़ हो गयी। अपनी गलती के लिए दूसरों को दोषी न ठहरायें। अपनी गलती स्वीकारना और आलोचना को सहना सीखिये। स्वस्थ आलोचना से ही आपको मालूम होगा कि आपकी क्या दुर्बलताएँ हैं और उसे किस ढंग से दूर किया जा सकता है। इसलिए अपनी आलोचना से डरिए मत, बल्कि सबक लीजिए।
  • काम सही ढंग से और समय पर करें। जो भी काम आपको सौंपा गया है, उसे पूरे मनोयोग और निष्ठा से करें। समय की पाबंदी का हमेशा ध्यान रखें। अगर किसी कारणवश आप काम समय से पूरा नहीं कर सके या काम में कोई अड़चन आने की आशंका है, तो पहले से अपने अफसर या बॉस को बता दीजिए।
  • आपका काम इतना विश्र्वसनीय होना चाहिए कि बॉस आँखें बंद करके आपकी फाइलों पर हस्ताक्षर कर सके। इतने ध्यान से काम कीजिए कि कोई गलती न रह जाये और बॉस को आप पर पूरा भरोसा भी हो जाये। इसके अलावा ऑफिस की बातें बाहर वालों से न करें।
  • जो भी काम करना है, उसे पहले अच्छी तरह समझ लें। कोई भी काम या प्रोजेक्ट बिना सोचे-समझे हाथ में न लें। जो कुछ आप करने जा रहे हैं, उसकी रूप-रेखा बना लीजिए, तब काम शुरू कीजिए। जो भी काम आप करते हैं उसे अपने भरोसे पर, अपनी जिम्मेदारी पर कीजिए। अपने काम को हर दृष्टि से बेहतरीन बनाने की कोशिश करें।

समस्याओं से दूर न भागें, समस्याओं से जूझने की कोशिश करें। यदि आपमें समस्याओं से जूझने का हौसला है, साहस है, तभी आप निर्बाध गति से आगे बढ़ सकते हैं। किसी भी मुश्किल काम से घबराइए नहीं, उसके बारे में गम्भीरता से सोचिए।

  • अपने अफसर या बॉस से समय-समय पर सम्पर्क करते रहिए। उन्हें अपने हर काम की मुख्य बातें बताते रहिए। अगर आपको कोई बात महत्वपूर्ण लगती है, तो अपने बॉस को जरूर बताइये और उनसे उस विषय में परामर्श लीजिए।
  • अपनी समस्याएँ स्वयं सुलझाइये। आपका काम है अपने बॉस की मदद करना, उनके कामों को निपटाना, उनकी उलझनों को सुलझाना, इसलिए अपनी व्यक्तिगत समस्याओं से उन्हें परेशान न कीजिए और अगर कोई संकट पड़ भी जाए तो उसके संभावित समाधान पहले खुद ही सोच लीजिए। तब बॉस के पास जाइए।
  • अपनी संस्था की राजनीति में न पड़ें, कोशिश कीजिए कि ऑफिस के हर व्यक्ति से आपके संबंध अच्छे बने रहें। अंदरूनी राजनीति और गुटबंदी से दूर रहिए।
  • अपने काम में रुचि और जिज्ञासा बनाये रखिये। काम से संबंधित छोटी से छोटी बारीकियों को जानने के लिए तत्पर रहिए। काम के बारे में नयी-नयी जानकारियॉं हासिल करने के लिए उत्सुक रहिए।
  • नित-नये कार्याम और नीतियां अपनाने में मत हिचकिचाइये। नये-नये जोखिम भरे काम हाथ में लीजिए। नवीन तकनीकों का सहारा लीजिए। अपने कार्य को नयी दिशा और आयाम दीजिए। लकीर का फकीर बने रहने से कोई फायदा नहीं है। ऐसा करके आप अपने बॉस की निगाह में ऊँचे उठ सकते हैं।

– कीर्ति

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