व्यर्थ – विहीत विपुल मारू

सद्गुण न हो तो रूप व्यर्थ है,

विनम्रता न हो तो विद्या व्यर्थ है,

उपयोग न हो तो धन व्यर्थ है,

साहस न हो तो हथियार व्यर्थ है,

होश न हो तो जोश व्यर्थ है,

जोश न हो तो जवानी व्यथर्र् है,

परोपकार न हो तो जीवन व्यर्थ है।

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