सौन्दर्यकारी नुस्खे

सौन्दर्यकारी नुस्खे

मसूर की धुली हुई दाल में शुद्ध घी, कच्चा दूध और चुटकी भर हल्दी मिक्स करके पेस्ट बना लें और चेहरे पर पैक की भांति लगभग बीस मिनट तक लगाएं, इसका नियमित प्रयोग त्वचा की रंगत निखारता है। नीम की छाल को पानी में घिसकर चेहरे पर इसका लेप करें। इसके नियमित प्रयोग से कील-मुंहासों […]

बच्चे झूठ बोलते हैं कहीं इसमें आपका योगदान भी तो नहीं

बच्चे झूठ बोलते हैं कहीं इसमें आपका योगदान भी तो नहीं

जॉनी, जॉनी यस पापा ईटिंग शुगर नो पापा टेलिंग लाइस नो पापा ओपन योर माऊथ हा-हा-हा। यह नर्सरी राइम है, जो शायद हर स्कूल में बच्चों को सिखायी जाती है। यह आसान राइम है, बच्चे जल्दी सीख जाते हैं। यही वजह है कि इसे सीखने पर जोर दिया जाता है। लेकिन मनोविज्ञान की दृष्टि से […]

बच्चों पर जासूस कहां तक

बच्चों पर जासूस कहां तक

अदनान नामक किशोर के मर्डर का केस अभी ताजा ही है कि आरूषि कांड आ गया। ऐसे और ना जाने कितने कांड हर दिन देश में घट रहे हैं। अदनान केस को ही लें, यदि मां-बाप को उसकी गतिविधियों, उसके फ्रैंडसर्कल के बारे में जानकारी होती तो शायद यह ट्रेजेडी होने से बच जाती। अदनान […]

ताकि झगड़ा न हो नये मेहमान और पेट्स में

आपके घर में एक नया मेहमान आने वाला है, आपका बच्चा। लेकिन आपके घर में पहले से ही पेट्स भी हैं। अब दोनों को साथ कैसे रखा जायेगा? यह एक बड़ी चुनौती है, खासकर पेट्स को आदत पड़ चुकी होती है ध्यान, प्रेम व केयर का केन्द्र बने रहने की और अब इनको शेयर करने के लिए नया मेहमान आने वाला है।

ताकि झगड़ा न हो नये मेहमान और पेट्स में

बहुत से नये माता-पिता नवजात शिशु के आगमन पर कुत्ते को घर से बाहर निकालने के बारे में सोचते हैं, लेकिन नकारात्मक विचारों से बचें, जैसे- कुत्ते बच्चे को नुकसान पहुंचाएंगे। सच तो यह है कि जो बच्चा जानवरों के साथ पलता है, वह उनका सम्मान और उनसे प्यार करना सीख जाता है। यहां कुछ […]

बाल श्रम : बच्चों से छिनता बचपन

रोडवेज बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन, सब्जी मण्डी, सिनेमा हाल आदि सार्वजनिक स्थानों के आस-पास कूड़े के ढेर से कांच, लोहे, प्लास्टिक व कागज को बीनते बच्चों के झुण्ड हर महानगर-नगर में मिल जाते हैं। बस्ता थामने की उम्र में इन्हें कूड़े से बीनी हुई चीजों का बोरा ढोना पड़ता है। ये बच्चे नहीं जानते कि […]

बच्चों के आम रोग एवं उपचार

आज वैज्ञानिक, औषधियों के निर्माण के लिये लगातार आविष्कार कर रहे हैं। वैज्ञानिकों को यह बात भलीभांति ज्ञात है कि प्रकृति ने मानव और जीव-जन्तुओं की प्राण-रक्षा के लिये संसार में विभिन्न जड़ी-बूटियों की उत्पत्ति भी की है।

बच्चों के आम रोग एवं उपचार

इन जड़ी-बूटियों की पहचान तथा उनके सम्मिश्रण से ही वैज्ञानिक असाध्य रोगों की दवा बनाने में सक्षम हो पा रहे हैं। बच्चों में होने वाले आम रोगों की जानकारी प्रस्तुत है और साथ ही कुछ ऐसी जड़ी-बूटियों की जानकारी भी दी जा रही है, जिनके प्रयोग से बच्चों की बीमारियों से रक्षा की जा सकती […]

भ्रष्टाचार का कैंसर और बेचारा समाज

आए दिन देश के विभिन्न क्षेत्रों में रिश्र्वत लेते हुए अधिकारियों के पकड़े जाने की खबरें खूब छपती हैं। सिर्फ नाम, रिश्र्वत की रकम और जगह का फर्क होता है। जो नहीं पकड़े जाते, उन पर इन खबरों का कोई असर नहीं होता। खबर पढ़ने के बाद वे जायज, नाजायज के चक्रव्यूह में नहीं फंसते। सही-गलत, जायज-नाजायज, आत्मा के उत्थान-पतन, शर्मिंदगी का भाव, इन सबसे वे लोग काफी ऊपर उठ चुके हैं। भ्रष्टाचार नीचे से ऊपर तक व्याप्त है।

कुछ दिन पहले पंजाब के अठारह आईएएस अधिकारियों की सूची अखबार में छपी, जिनके विरुद्ध गंभीर भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं। देश का प्रशासन चलाने वाले उच्चाधिकारी भी ऐसे गंभीर दोषों के लिए सफाई ढूंढने में प्रयत्नशील हैं। दस आईपीएस अधिकारी, जिनमें तीन पुलिस महानिदेशक हैं, आपराधिक मामलों की पूछताछ को लेकर संशय के […]

मतदाताओं की राजनेताओं से अपेक्षा

मतदाताओं की राजनेताओं से अपेक्षा

हाल ही की बात है। मेरे एक पड़ोसी मित्र का देहान्त हो गया। दोपहर को बारह बजे अर्थी उठने को थी। तभी मित्र का मोबाइल फोन बज उठा। सांसद महोदय का सन्देश था कि वे अभी थोड़ी दूर एक अन्य अन्त्येष्टि में भाग ले रहे हैं। आधे घंटे में यहॉं पहुँच जाएंगे। उनके आने पर […]

हमारी लोकतांत्रिक अवधारणा का सच

कहने को देश आज़ाद है। देश में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत संसद है, न्यायपालिका है और नीचे से ऊपर तक अनेक संवैधानिक संस्थान हैं। देश में अपनी सरकार चुनने का ह़क जनता के पास है और वह अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने भाग्य-विधाताओं को कुर्सी आवंटित करती है। इस लिहाज़ से देखा जाए तो कोई भी कह सकता है कि हमने इन प्रक्रियाओं के आधार पर एक स्वस्थ और विचारशील लोकतंत्र की रचना की है।

हमारी लोकतांत्रिक अवधारणा का सच

लेकिन इसके साथ ही यह सवाल उठना भी स्वाभाविक है कि क्या यह ढॉंचा ही वास्तविक लोकतंत्र की पहचान है? क्या यह ढॉंचा उन संकल्पों को विकसित करने में समर्थ है जो लोकतंत्र की बुनियादी अवधारणा के साथ जुड़ाव रखता है? क्या इस ढॉंचे ने समाज के दबे-कुचले लोगों को उनकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के […]

महंगाई और मोबाइल

महंगाई और मोबाइल

जब कमर टूट रही हो तो यह कहना कितना हास्यास्पद लगता है कि कमर कस लो। पर अपने नेताओं ने यही रटना लगा रखी है कि कमर कस लो, कमर कस लो। अपने यहॉं एक मुहावरा है- “कमरतोड़’ और यह मुहावरा आमतौर से महंगाई के साथ ही प्रयुक्त होता है। सचमुच महंगाई कमर तोड़ रही […]