सपने में एक प्रेस कांफ्रेंस

इन दिनों कुछ काम-धाम था नहीं। सोचा, बैठे-ठाले एक प्रेस कांफ्रेंस ही कर डालें। वैसे भी ज्यादातर प्रेस कांोंसेज ऐसे ही ठाले-बैठे हो जाया करती हैं। मैंने पत्रकारों को निमंत्रण भेज दिये। शाम को प्रेस क्लब पहुँचा तो आश्र्चर्य के साथ देखा, नगर के सभी बड़े-बड़े दिग्गज पत्रकार उपस्थित हैं। केवल चाय और नमकीन पर […]

नेता और भगवान

सरकार की कार्यकुशलता से आजिज आ चुकी न्यायपालिका की यह टिप्पणी कि “इस देश को भगवान भी नहीं बचा सकता’ ने एक बार फिर भगवान की पोल खोल दी है। हम तो पहले भी कहते थे कि यह काम भगवान के बस का नहीं है। भगवान दुनिया को संभाल सकता है, भारत को नहीं। दुनिया […]

पैकेट में जीना, पैकेट में मरना

दूध वाले से ऐसे जवाब की मैंने उम्मीद नहीं की थी। दो दिनों से दूध पतला आ रहा था। सुना दिया उसे। अब दूध पतला होने की शिकायत दूध वाले से न करें तो क्या भैंस से करें? मेरा तो मानना है कि जिस दूध वाले ने दूध पतला होने की शिकायत सुनी हो, उसे […]

मेघों के बरसने की कामना

बरसो मेघ, जल बरसो, इतना बरसो तुम जितने में मौसम लहराए, उतना बरसो तुम बरसो प्यारे धान-पात में, बरसो अंगारों में फूला नहीं समाए सावन मन में दर्पण में मेघों के बरसने की कामना लिए किसानों की आँखें आसमान की ओर टिकी हुई हैं। सुबह-शाम वे बादलों की ओर ताके जा रहे हैं कि कब […]

रेल का टिकट

“बाबा, दुनिया में सबसे आसान काम कौन-सा है?’ “काम न करना ही सबसे आसान काम है।’ “नहीं, मैं प्रोफेशन के हिसाब से मालूम कर रही थी।’ “हर काम की अपनी कठिनाईयां होती हैं, जो काम करता है वही उसकी बारीकियां समझ सकता है।’ “मैं आपकी बात समझी नहीं।’ “मैं एक मिसाल से बताता हूं। मेरे […]

घनश्याम अग्रवाल की कविता

आ़जादी की वर्षगांठ मनाने की तैयारियॉं चल रही हैं। अब इसमें कितना जोर और कितना शोर है, यह नहीं कहा जा सकता। कुछ कार्यालयों में तिरंगे फहराए जाएँगे। कहीं लाउड स्पीकर से वतन की पुकार के गीतों का शोर होगा, तो कहीं भाषण होंगे, लेकिन सही अर्थों में आ़जादी की उपलब्धियों एवं देश की मौजूदा […]

आटे पर बैंक लोन!

बैंक वाली बाला का फोन था। रिसीव किया तो मधुर आवाज गूंजी, “सर! आपके लिए खुशखबरी!! हमारे बैंक ने आटे और गेहूं खरीदने के लिए भी लोन देना शुरू कर दिया है। आप जैसे गरीब लेखकों को ईएमआई की सुविधा देने का निर्णय किया गया है। सर, आप बैंक आएं और अनाज के लिए लोन […]

रूमानी ग़जल

रंजिश ही सही दिल को दुःखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ कुछ तो मेरे पिन्दारे मुहब्बत का भरम रख तू भी कभी मुझ को मनाने के लिए आ किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम तू मुझ से खफ़ा है तो जमाने के लिए आ किसी भी […]

छा गईं काली घटाएँ

ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी के बाद आंखें आसमान की ओर निहारने लगती हैं। प्रकृति प्यास से व्याकुल हो जाती है तभी आती है- ऋतुओं की रानी वर्षा। अपने साथ काले मेघों की विशाल सेना लिए हुए। भारत में भौगोलिक दृष्टि व मानसून के हिसाब से बरसात के चार महीने माने जाते हैं, परन्तु इन […]

टिप्पणी

काका हाथरसी ने उनके बारे में कहा था- शैल मंच पर चढ़ेे तब मच जाता है शोर हास्य व्यंग्य के “शैल’ यह जमते हैं घनघोर जमते हैं घनघोर, ठहाके मारें बाबू मंत्री संत्री लाला लाली हों बेकाबू काका का आशीष विश्र्व में ख्याति मिलेगी बिना चरण “चल गयी’ ह़जारों वर्ष चलेगी उन्हें गु़जरे लगभग एक […]

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