सद्गति का निर्धारण स्वविवेक से संभव

एक ओर ईश्र्वर अपनी भुजाएं पसारे गोदी में चढ़ाने का, छाती से लगाने का आह्वान करता है, दूसरी ओर लोभ और मोह के बंधन हाथों में हथकड़ी, पैरों में बेड़ी की तरह बंधे हैं। स्वार्थान्धता की अहंता कमर में पड़े रस्सों की तरह जकड़े बैठी है। पीछे लौटें, जहां के तहां रुके रहें, या आगे […]

अनिष्ट निवारक निधि है शंख

शंख निधि का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस मंगलचिह्न को घर के पूजास्थल में रखने से अरिष्टों एवं अनिष्टों का नाश होता है और सौभाग्य की वृद्धि होती है। भारतीय धर्मशास्त्रों में शंख का विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण स्थान है। मंदिरों एवं मांगलिक कार्यों में शंख-ध्वनि करने का प्रचलन है। मान्यता है कि […]

अन्तर्मुखी होने से ही जागती है चेतना

भारत की पहचान उसका वैदिक ज्ञान है। भारत की पहचान आत्मचेतना के क्षेत्र में और बाह्य क्षेत्र में देवत्व जगाने वाली उसकी वैदिक विद्या है। ज्ञान कैसे होता है? ज्ञान को जगाने के लिए कहीं बाहर नहीं भटकना पड़ता है। ज्ञान तो भीतर ही होता है और भीतर से ही जागृत होता है। ज्ञान आत्मचेतना […]

आत्मा इस संसार रूपी मुसाफिरखाने में आई कहॉं से?

जो आत्मा रूपी अविनाशी चेतन सत्ता है, यह संसार रूपी मुसाफिरखाने में आयी कहॉं से है और आखिर इसे जाना कहॉं है? यह सृष्टि रूपी कर्मक्षेत्र में अथवा कर्मेन्द्रियों के संग्रह रूप देह में उतरी कहॉं से है और अन्त में खेल खत्म होने पर यह लौटेगी कहॉं? इसका वास्तविक ठिकाना अथवा बसेरा कौन-सा है, […]

पौराणिक चरित्र – वामन

भगवान् विष्णु के दशावतारों में से पांचवां अवतार वामन का है। इनका जन्म अदिति के पुत्र के रूप में हुआ था। दैत्येश्र्वर बलि का आधिपत्य देखकर देवताओं ने ब्रह्मा सहित विष्णु की प्रार्थना की। उनमें अदिति भी थी। वह अपने पुत्र इंद्र के लिए विशेष चिंतित थी। भगवान् ने अदिति को आश्र्वासन दिया कि वे […]

सूर्यकुंड में पका हुआ चावल ही है यमुनोत्री का प्रसाद

सूर्यकुंड में पका हुआ चावल ही है यमुनोत्री का प्रसाद

केदारखंड-उत्तराखंड के चारों धामों में यमुनोत्री, हिमालय के विशाल शिखर के पश्र्चिम में समुद्री सतह से 3185 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। सूर्यपुत्री यमुना का उद्गम यमुनोत्री से 6 कि.मी. ऊपर कालिंदी पर्वत पर है। यह स्थान अधिक ऊँचाई पर होने के कारण दुर्गम है। यहीं पर एक झील है, जो यमुना का उद्गम-स्थल […]

चमत्कारी हैं बड़ली के भैरूनाथ

चमत्कारी हैं बड़ली के भैरूनाथ

जोधपुर रियासत के श्रद्धालु राजा-महाराजाओं व उनकी महारानियों ने धार्मिक प्रवृत्ति के फलस्वरूप मारवाड़ में समय-समय पर अनेकानेक भव्य मंदिरों का निर्माण शहर की परिधि व आसपास के क्षेत्रों में करवाया था। मंदिरों की एक लम्बी श्रृंखला के तहत एक ऐसा ही प्रबल जनास्था का मंदिर जोधपुर शहर से 13 किलोमीटर दूर जोधपुर-जैसलमेर मार्ग पर […]

1 27 28 29