महर्षि वशिष्ठ ने जब विश्र्वामित्र को ब्रह्मर्षि कहा

महर्षि वशिष्ठ ने जब विश्र्वामित्र को ब्रह्मर्षि कहा

विश्र्वामित्र अपनी विशाल सेना सहित विजयी होकर अपने राज्य को लौट रहे थे। मार्ग में ब्रह्मा जी के पुत्र महर्षि वशिष्ठ का गुरुकुलमय आश्रम पड़ा। विश्र्वामित्र ने उनका आशीर्वाद लेने के विचार से आश्रम में प्रवेश किया। महर्षि वशिष्ठ ने राजा के रूप में उनका यथोचित सम्मान किया और कुछ समय आश्रम में रुककर आतिथ्य […]

पौराणिक चरित्र – वायुदेव

पौराणिक चरित्र – वायुदेव

वायुदेव वैदिक देवता हैं। वायु और इंद्र की घनिष्ठ मित्रता है। ये विराट् पुरुष के श्र्वास से उत्पन्न हुए हैं। ये त्वष्ट्री के जामाता कहे गये हैं। ये मनुष्य में प्राण रूप में रहते हैं। ये हनुमान् तथा भीम के पिता कहे गये हैं। अंजना रूप में पृथ्वी पर घूमती अप्सरा पुंजिकस्थली को देखकर वायुदेव […]

बगुलामुखी – सर्वसिद्धि साधना

बगुलामुखी – सर्वसिद्धि साधना

भारत में देव-पूजन की परंपरा अत्यंत प्राचीनकाल है। देव से अभिप्राय उस सत्ता से है, जो अतिमानवीय मंगलमयी तथा मानव द्वारा उपास्य है। यह सत्ता जन्म-मरण के बंधन से परे है। “देवी’ शब्द का प्रयोग भी उसी अर्थ में होता है, जिस अर्थ में “देव’ का। भक्ति-साहित्य में देवी को स्वतंत्र शक्ति के रूप में […]

ब्रज में गोपी बने त्रिपुरारि

ब्रज में गोपी बने त्रिपुरारि

श्रीमद्गोपीश्र्वरं वन्दे शंकरं करुणाकरम्। सर्वक्लेशहरं देवं वृन्दारण्ये रतिप्रदम्।। जब-जब भगवान ने अवतार लिया, तब-तब भगवान शंकर उनके बालरूप के दर्शन करने के लिए पृथ्वी पर पधारे। श्रीरामावतार के समय भगवान शंकर वृद्ध ज्योतिषी के रूप में श्री काकभुशुण्डिजी के साथ अयोध्या में पधारे और रनिवास में प्रवेश कर भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के […]

पौराणिक चरित्र – धर्मपुत्र

पौराणिक चरित्र – धर्मपुत्र

पांडव के ज्येष्ठ पुत्र युधिष्ठिर का एक नाम यह भी है। ये धर्मराज के पुत्र हैं, जो कुन्ती के गर्भ से उत्पन्न हुत्र थे। सत्यनिष्ठा, धर्म-पालन आदि में ये आदर्श माने गये हैं। माद्री से संभोग करते हुए, शापवश पांडु की मृत्यु होने पर धृतराष्ट्र के यहां इनका पालन-पोषण हुआ था। धृतराष्ट्र के पुत्र दुर्योधन […]

गंगा सचमुच मैली हो गई

गंगा सचमुच मैली हो गई

पुराणों में गंगा जल का महत्व अत्यधिक पवित्र व रोग नाशक बताया गया है। आज भी लोग पापनाशिनी और जीवनदायिनी गंगा में डुबकी लगाकर और जल पीकर खुद को धन्य समझते हैं। कहते हैं, एक घड़े के पानी में दस बूंद पानी गंगाजल का मिला दिया जाए तो पूरा पानी साफ व कीटाणु नाशक हो […]

लोक जीवन में जल-दान की परंपरा

लोक जीवन में जल-दान की परंपरा

एक गीत मैं रोज सुनता हूं किसी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, तो मंदिर में जाने से क्या फायदा। प्यासे को पानी पिलाना लोक-जीवन में बड़ा पुण्य माना जाता है। ग्रीष्मकाल में कस्बों और नगरों में प्याऊ की व्यवस्था इसी पुण्य-बोध का परिणाम है, पर आज सभी स्थानों पर पानी विक्रय की वस्तु बन गया […]

जीवन गीत – संत तिलोपा

संत तिलोपा की बड़ी ख्याति थी। उनके बारे में कहा जाता था कि उनके पास सभी प्रश्नों के उत्तर मौजूद रहते हैं। एक बार मौलुंक नाम का एक व्यक्ति उनके पास आया और अपने प्रश्नों का उत्तर जानना चाहा। संत तिलोपा ने कहा, मैं तुम्हारे सभी प्रश्नों का उत्तर दे दूंगा, लेकिन तुम्हें उसकी कीमत […]

सृष्टि के सृजक महर्षि कश्यप

सृष्टि के सृजक महर्षि कश्यप

मुनिराज महर्षि कश्यप ब्रह्मा जी के मानस-पुत्र और मरीची ऋषि के महातेजस्वी पुत्र थे। इन्हें अनिष्टनेमी के नाम से भी जाना जाता है। महर्षि कश्यप की माता का नाम कला था, जो कि कर्दम ऋषि की पुत्री और कपिल देव की बहन थी। महर्षि कश्यप ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते हैं। सुर-असुरों के मूल पुरुष […]

हैदराबाद नगर में बीसवीं शताब्दी के महान संत सद्गुरु नारायण महाराज

भाग्यनगर रूपी आकाश में श्री सद्गुरु नारायण महाराज चंद्रमा की भांति सुशोभित हैं। यह चंद्र-प्रभा भारतवासियों के दुःख-कलेश हरण करने वाली, उद्धार करने वाली और आनंद एवं समाधान देने वाली है। एक बार की बात है, ज्येष्ठ शु. 9 शके 1836 (सन् 1914) को श्रीनारायण महाराज के एक शिष्य काशीराम हलवाई ने उन्हें अपने घर […]