भाव भरा अभिनन्दन – सुषमा बैद

तेरापंथ के दिव्य क्षितिज पर है देदीप्यमान तेरी पहचान गणाधिपति गुरुदेव के बाद तुम्हीं हो जन-जन के भगवान। अति आभारी हूँ मॉं बल्लू की जिसने इक ऐसा लाल दिया वसुंधरा हॅंसकर यश गाती हे महाप्रज्ञ! तुमने निहाल किया। तेरापंथ के दसमासन पर महा विज्ञ तुम महा मनस्वी, गण-उपवन में सुमन खिला यह ध्यानी, योगी और […]

राग-परिमा – कन्हैयालाल शर्मा

आकाश में शुभ्र बादलों का विचरण कभी उमड़-घुमड़ काले मेघों का गर्जन जैसे भीमसेन जोशी का गायन। सुर मल्हार, गौड़ मल्हार पिरो दे बरखा के तार-तार आसावरी ललित भटियार वृन्दावनी सारंग मुल्तानी दोपहर का एकाकीपन। मारवा संजोता सतरंगी सांझ पुरीया धनाश्री से छाता रात में पीलू का आवरण। मिश्र पीलू मांझ-खमांज दरबार सजाता दरबारी कानड़ा […]

टिप्पणी – एफ एम सलीम

मौसम बदल गया है। धूप और गर्मी से हल्की-सी राहत मिल गयी है। बारिश की कुछ बूंदों ने चार महीनों से झुलस रहे तन को ही नहीं बल्कि मन को भी हल्का कर दिया है। क्योंकि बारिश का संबंध केवल तन से नहीं, मन से भी होता है। यही वो बारिश है, जो स्मृतियों को […]

जादू मेहनत का – सीताराम गुप्ता

भव्य भवन हैं ऊँचे-ऊँचे, लंबी सड़कें, बाग-बगीचे। टेलीविजन, कार, कंप्यूटर, मॉल, हाट, मेले, अप्पूघर। रॉकेट, रोबोट या मोबाइल, अणु-बिजलीघर, तारामंडल। चमत्कार वैज्ञानिक सारे, कितने अचरज भरे नजारे। यह सारा जादू है किसका, सिर्फ आदमी की मेहनत का। बुद्धि हमारी है जादूगर, हाथ हमारे ही कारीगर। मन से सोचो, बुद्धि लगाओ, दो हाथों से सब कुछ […]

दूध – प्रभा माथुर

डेयरी से मैं जाकर लाया, दूध के पैकेट पूरे चार। मॉं ने चढ़ाई बड़ी कढ़ाई, सारे दूध को लिया उबाल। एक कटोरा ठंडा करके, मॉं ने मुझे पिलाया। एक कटोरा दही जमाया, सबने मिलकर खाया। एक भगोने गरम दूध में, नींबू का रस डाला। दूध फट गया, पानी छाना, और पनीर निकाला। आधे पनीर की […]

मॉं को सलाम

कितना कोमल और सुखद अहसास है मॉं, दिल के कितने आसपास है मॉं, नख से शिख तक ममता की मूरत है मॉं, लोरी गाकर प्यार से सुलाने वाली है मॉं, चोट लगे मुझको तो रोती है मॉं, पुकारने पर भागी चली आती है मॉं, सब काम करने को तत्पर रहती है मॉं, आलस का तो […]

परिवार – यज्ञेश माडीवाले

पापा मेरे बड़े होशियार। मम्मी प्यारी-प्यारी।। राजू भैया है नटखट। दादीजी की बात न्यारी।। नाना मेरे बड़े चतुर। नानी भोली-भाली।। मामा है बड़ा ऑफीसर। मामी घरवाली।। नहीं चाहिए मुझको। मोटर बंगला गाड़ी।। छोटा-सा परिवार हमारा। उसमें खुशियॉं सारी।।

प्रेस वार्ता में बिल्ली

भारी मत से हरा शेर को बिल्ली जी मुसकाई, सब चूहों को झॉंसा देकर प्रेस वार्ता बुलवाई। बोली-हिंसा धर्म न मेरा न चूहों को खाऊँगी, लेकिन इतना याद रखो तुम जब चाहो तब आऊँगी। अगर नहीं आ पाई तो फिर तुमको आना होगा, भूख लगेगी अगर मुझे तो भोजन मेरा बन जाना होगा।

पुस्तक – डॉ पंडित विनय कुमार

कितनी प्यारी मेरी पुस्तक कितनी न्यारी मेरी पुस्तक। बुद्धि सदा बढ़ाती पुस्तक, सबको सुखी बनाती पुस्तक। अच्छी बात बताती पुस्तक, सदाचार सिखलाती पुस्तक। सुबह नित्य हम मन से पढ़ते, इसमें लिखी बातें हम गुनते। क्षमा, दया, तप, त्याग गुणों का, शिक्षा देती प्रतिदिन पुस्तक। कितनी प्यारी मेरी पुस्तक, कितनी न्यारी मेरी पुस्तक।

पूछें एक सवाल – ओमप्रकाश उनियाल

चंदा-मामा, चंदा-मामा, पूछें एक सवाल। दोगे उसका ज़वाब? तुम आधे महीने ड्यूटी पर आते, बाकी दिन कहॉं रहते? देखो-देखो, हो गयी सिट्टी-पिट्टी गुम, लगता है नहीं दोगे ज़वाब तुम। नहीं दोगे ज़वाब, तो सुनो हमारा ऐलान, नीले आकाश और तारों से, शिकायत करेंेगे, धरना देंगे, भूख हड़ताल करेंगे। फिर भी न माने तो, तुम्हें मामा-मामा […]

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