मैडम गर्मी – मीरा हिंगोराना

गर्म हवा की छड़ी उठा, गुस्से में गर्मी आई, धूल-मिट्टी आँखों में आई। छक्के-चौके सूरज मारे, चाय और काफी छूटी जाए, कुल्फी-लस्सी ही इतराए। गला सूख हुआ कांटा, गर्म हवा का पड़ा जो चॉंटा मौसम ने बदले रंग-ढंग। गर्मी ने तो प्यास बढ़ाई। गुस्से में गर्मी आई…..।

व्यर्थ – विहीत विपुल मारू

सद्गुण न हो तो रूप व्यर्थ है, विनम्रता न हो तो विद्या व्यर्थ है, उपयोग न हो तो धन व्यर्थ है, साहस न हो तो हथियार व्यर्थ है, होश न हो तो जोश व्यर्थ है, जोश न हो तो जवानी व्यथर्र् है, परोपकार न हो तो जीवन व्यर्थ है।

गुरु – हर्षिता मोहन

वो गुरु ही तो है जिसने हमें विद्या धन दिया, एक-एक अक्षर से शुरू कर पुस्तक पढ़ना सिखा दिया। विद्या बिना मानव पशु जैसा होता है, कैसे भुला सकते हम जिसने नवोन्मेषी ज्ञानवान बना दिया। विनय से विद्या आती अकड़ से कुछ नहीं आता गोविंद से बड़ा गुरु है। गुरुभक्ति ही तो है जिसने एकलव्य […]

रंग-बिरंगे पंखों वाली तितली – डॉ मदनलाल वर्मा

रंग-बिरंगे पंखों वाली, कितनी सुंदर प्यारी तितली। उपवन के जीवन में इसने, कई बहारें देखी हैं। सांसों की मीठी धड़कन में, कई फुहारें देखी हैं। फूलों पर उड़ती रहती है, सबसे लगती न्यारी तितली। रंग-बिरंगे पंखों वाली, कितनी सुंदर प्यारी तितली। मौसम की मस्ती में बहकर, इसने रंग दिखाए हैं। सुंदर सपनों की दुनिया में, […]

भारत माता का मंदिर – एस नीति और राजा

भारत माता का मंदिर यह, समता का संवाद जहॉं! सबका शिव कल्याण वहॉं है, पावें सभी प्रसाद यहॉं!! समानता की सीख सिखाता, न्याय का यह मंदिर कहलाता! हम भारत की शान हैं बच्चे, भारत मॉं की संतान हैं बच्चे!!

दादा दादी का न्योता – अमृतलाल मदान

छुट्टियॉं हो गईं प्यारे बच्चों बंद हुए हैं स्कूल, दादा का घर खुला है निस दिन अब भी न जाना भूल। कभी तो आओ यहॉं जहॉं पर बूढ़े नीम के पेड़, माना ए.सी. नहीं लगे हैं छांव घनी है ढेर। मैं अब भी घोड़ा बन सकता घुमा लाऊँगा गॉंव, थक कर लौटोगे, दाबूँगा नन्हें-नन्हें पॉंव। […]

फलों का राजा आम – विनोद चंद्र पांडेय विनोद

राजा फलों का आम है। इसका अनोखा रंग है। इसका अलग ही ढंग है।। सब ओर इसका नाम है। राजा फलों का आम है।। रस मधुर इसमें है भरा। यह लाल-लाल हरा-हरा।। पीला बड़ा अभिराम है। राजा फलों का आम है।। इसके अनेक प्रकार हैं। स्वादिष्ट अपरम्पार है।। समुचित सभी का दाम है। राजा फलों […]

बीज के अन्दर नन्हॉं पौधा – प्रभा माथुर

बीज के अन्दर नन्हॉं पौधा, सोया, उसे जगाएँ, मिट्टी में जा उसे दबाएँ पानी उसे पिलाएँ। जागो भाई, आँखें खोलो, ऋतु आई अनुकूल, संगी साथी जाग रहे सब, सोना है अब भूल। पानी पीकर, प्यास बुझाकर, उसने पॉंव बढ़ाया, आलस त्यागा, स्वस्थ हुआ, मिट्टी में पॉंव जमाया। फिर उसने बॉंहें फैलाईं, बाहर देखा झॉंका, धूप […]

युग दर्पण – नरेंद्र राय

भरोसा हाथों पे रख हाथ की लकीर न देख कोई तदबीर तो कर, हासिले तदबीर न देख तू सितारों को इरादों से बदल सकता है पलट-पलट के तू पंचांग को तकदीर न देख इरादा कर लिया तूफ़ानों से लड़ने का अगर सामना मौज़ों का कर, तू पलट के तीर न देख देना खैरात तो दे, […]

पुराने ज़माने में – राजकुमार कुम्भज

पुराने ज़माने में चतुर्दिक नदियां थीं नहाने और मौज करने के लिए आज के ज़माने में चतुर्दिक रेगिस्तान हैं पता नहीं कहॉं मिलेगा चुल्लू भर पानी डूब मरने के लिए?