ग़ज़ल – मधुर नज्मी

धो के हाथों की हिना पानी में इक नशा घोल दिया पानी में दुश्मने-जां हैं ये तीनों लेकिन फ़़र्क है, आग, हवा, पानी में तेरी रहमत का हो साया जिस पर डूब सकता है भला पानी में। किसी गौहर की हो जो तुमको तलाश झांक कर देखो ज़रा पानी में एक बादल का सहारा लेकर […]

बहू के कई रूप

एक बहू हूबहू बेटी जैसी बहू एक बहू बहुरूपिया बहू एक होती है घर संसार जोड़ने वाली एक होती है घर संसार तोड़ने वाली एक होती है होनहार बहू तो एक होती है खूंखार बहू होती है एक परिवार का नाम करने वाली और कोई परिवार को बदनाम करने वाली सभी के घर तो आती […]

अलबेले बादल

आसमान में शोर मचाते छाये बादल अलबेले पूरब पच्छम दक्कन उत्तर रूप बदलते फिरते अक्सर कभी हैं भूरे कभी ये काले करते हैं ये जादू मंतर रहते मिल जुलकर आपस में कभी नहीं रहते ये अकेले। ऐसा बरसाते हैं पानी हो जाती है धरती धानी बूँदाबांदी कहीं पे बरसे कहीं पे जनता सारी तरसे जैसे […]

अनवर शऊर की एक ग़ज़ल

कुछ लकीरें रोज़ नक्शे से मिटा देती है आग कैसे-कैसे शहर मिट्टी में मिला देती है आग दिल जो अब इस दर्जा वीरॉं है कभी आबाद था इश्क है इक आग, क्या से क्या बना देती है आग जो कली खिलती है क्यारी में जला देती है धूप जो दीया जलता है धरती पर बुझा […]

आदर्श बनो खुद आसमॉं झुक जायेगा

आदर्श तुम जग के बनो खुद आसमॉं झुक जायेगा देश में गद्दार कितने ही सही उनका काफिला रुक जायेगा आतंक जो फैला रहे हैं सब देखते रह जायेंगे तुमने ग़र हिम्मत दिखाई तो वो राह पर आ जायेंगे कब से हम समझा रहे हैं एक भी मानी नहीं अब तुमने ली करवट अगर तो फैसला […]

महंगाई – संतोष कुमार मिश्र

महंगाई, महंगाई हाय! कहॉं से आई खुशियॉं छीनी ग़रीबों की जान लेने आई….। दाल, चावल, तेल, शक्कर सब्जी बड़ी महंगी खाऊँ भला तो क्या खाऊँ हर चीज़ महंगी भूखे पेट होत भजन न ये आफत कहॉं से आई….। रोटी, कपड़ा और मकान दे दे ग़रीबों को भगवान नेता बड़े बेईमान हाथ जोड़ते, विनती करते घर-घर […]

भाव भरा अभिनन्दन – सुषमा बैद

तेरापंथ के दिव्य क्षितिज पर है देदीप्यमान तेरी पहचान गणाधिपति गुरुदेव के बाद तुम्हीं हो जन-जन के भगवान। अति आभारी हूँ मॉं बल्लू की जिसने इक ऐसा लाल दिया वसुंधरा हॅंसकर यश गाती हे महाप्रज्ञ! तुमने निहाल किया। तेरापंथ के दसमासन पर महा विज्ञ तुम महा मनस्वी, गण-उपवन में सुमन खिला यह ध्यानी, योगी और […]

राग-परिमा – कन्हैयालाल शर्मा

आकाश में शुभ्र बादलों का विचरण कभी उमड़-घुमड़ काले मेघों का गर्जन जैसे भीमसेन जोशी का गायन। सुर मल्हार, गौड़ मल्हार पिरो दे बरखा के तार-तार आसावरी ललित भटियार वृन्दावनी सारंग मुल्तानी दोपहर का एकाकीपन। मारवा संजोता सतरंगी सांझ पुरीया धनाश्री से छाता रात में पीलू का आवरण। मिश्र पीलू मांझ-खमांज दरबार सजाता दरबारी कानड़ा […]

कहानी की मांग पर

वो चाहे मल्लिका शेरावत हों, बिपाशा बसु हों या राखी सावंत, ये सब नये जमाने की रूपसियां हैं। उनका व्यक्तित्व अलग-अलग होते हुये भी इन सबमें एक चीज कॉमन है, वो यह कि जब भी इन बदन दिखाऊ अभिनेत्रियों से अंगप्रदर्शन के बारे में बात की जाती है तो उन सबका यही उत्तर होता है […]

युग दर्पण – नरेंद्रराय

आतंकवादी देश की नींवें हिला रहे हैं। हम आतंकवादियों के पुतले जला रहे हैं।। कीचड़ उछालते हैं दल एक-दूसरे पर। सब स्वार्थ साधते हैं, कुछ ऐसे अवसरों पर। जनता को आश्र्वासन की भंग पिला रहे हैं।। हम।। कोई नहीं सुरक्षित, झूठे हैं सारे वादे सब जानते हैं नीयत, कितने हैं नेक इरादे। हाथों में जाम […]

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