परिवार – यज्ञेश माडीवाले

पापा मेरे बड़े होशियार। मम्मी प्यारी-प्यारी।। राजू भैया है नटखट। दादीजी की बात न्यारी।। नाना मेरे बड़े चतुर। नानी भोली-भाली।। मामा है बड़ा ऑफीसर। मामी घरवाली।। नहीं चाहिए मुझको। मोटर बंगला गाड़ी।। छोटा-सा परिवार हमारा। उसमें खुशियॉं सारी।।

प्रेस वार्ता में बिल्ली

भारी मत से हरा शेर को बिल्ली जी मुसकाई, सब चूहों को झॉंसा देकर प्रेस वार्ता बुलवाई। बोली-हिंसा धर्म न मेरा न चूहों को खाऊँगी, लेकिन इतना याद रखो तुम जब चाहो तब आऊँगी। अगर नहीं आ पाई तो फिर तुमको आना होगा, भूख लगेगी अगर मुझे तो भोजन मेरा बन जाना होगा।

पुस्तक – डॉ पंडित विनय कुमार

कितनी प्यारी मेरी पुस्तक कितनी न्यारी मेरी पुस्तक। बुद्धि सदा बढ़ाती पुस्तक, सबको सुखी बनाती पुस्तक। अच्छी बात बताती पुस्तक, सदाचार सिखलाती पुस्तक। सुबह नित्य हम मन से पढ़ते, इसमें लिखी बातें हम गुनते। क्षमा, दया, तप, त्याग गुणों का, शिक्षा देती प्रतिदिन पुस्तक। कितनी प्यारी मेरी पुस्तक, कितनी न्यारी मेरी पुस्तक।

पूछें एक सवाल – ओमप्रकाश उनियाल

चंदा-मामा, चंदा-मामा, पूछें एक सवाल। दोगे उसका ज़वाब? तुम आधे महीने ड्यूटी पर आते, बाकी दिन कहॉं रहते? देखो-देखो, हो गयी सिट्टी-पिट्टी गुम, लगता है नहीं दोगे ज़वाब तुम। नहीं दोगे ज़वाब, तो सुनो हमारा ऐलान, नीले आकाश और तारों से, शिकायत करेंेगे, धरना देंगे, भूख हड़ताल करेंगे। फिर भी न माने तो, तुम्हें मामा-मामा […]

मैडम गर्मी – मीरा हिंगोराना

गर्म हवा की छड़ी उठा, गुस्से में गर्मी आई, धूल-मिट्टी आँखों में आई। छक्के-चौके सूरज मारे, चाय और काफी छूटी जाए, कुल्फी-लस्सी ही इतराए। गला सूख हुआ कांटा, गर्म हवा का पड़ा जो चॉंटा मौसम ने बदले रंग-ढंग। गर्मी ने तो प्यास बढ़ाई। गुस्से में गर्मी आई…..।

व्यर्थ – विहीत विपुल मारू

सद्गुण न हो तो रूप व्यर्थ है, विनम्रता न हो तो विद्या व्यर्थ है, उपयोग न हो तो धन व्यर्थ है, साहस न हो तो हथियार व्यर्थ है, होश न हो तो जोश व्यर्थ है, जोश न हो तो जवानी व्यथर्र् है, परोपकार न हो तो जीवन व्यर्थ है।

गुरु – हर्षिता मोहन

वो गुरु ही तो है जिसने हमें विद्या धन दिया, एक-एक अक्षर से शुरू कर पुस्तक पढ़ना सिखा दिया। विद्या बिना मानव पशु जैसा होता है, कैसे भुला सकते हम जिसने नवोन्मेषी ज्ञानवान बना दिया। विनय से विद्या आती अकड़ से कुछ नहीं आता गोविंद से बड़ा गुरु है। गुरुभक्ति ही तो है जिसने एकलव्य […]

रंग-बिरंगे पंखों वाली तितली – डॉ मदनलाल वर्मा

रंग-बिरंगे पंखों वाली, कितनी सुंदर प्यारी तितली। उपवन के जीवन में इसने, कई बहारें देखी हैं। सांसों की मीठी धड़कन में, कई फुहारें देखी हैं। फूलों पर उड़ती रहती है, सबसे लगती न्यारी तितली। रंग-बिरंगे पंखों वाली, कितनी सुंदर प्यारी तितली। मौसम की मस्ती में बहकर, इसने रंग दिखाए हैं। सुंदर सपनों की दुनिया में, […]

भारत माता का मंदिर – एस नीति और राजा

भारत माता का मंदिर यह, समता का संवाद जहॉं! सबका शिव कल्याण वहॉं है, पावें सभी प्रसाद यहॉं!! समानता की सीख सिखाता, न्याय का यह मंदिर कहलाता! हम भारत की शान हैं बच्चे, भारत मॉं की संतान हैं बच्चे!!

दादा दादी का न्योता – अमृतलाल मदान

छुट्टियॉं हो गईं प्यारे बच्चों बंद हुए हैं स्कूल, दादा का घर खुला है निस दिन अब भी न जाना भूल। कभी तो आओ यहॉं जहॉं पर बूढ़े नीम के पेड़, माना ए.सी. नहीं लगे हैं छांव घनी है ढेर। मैं अब भी घोड़ा बन सकता घुमा लाऊँगा गॉंव, थक कर लौटोगे, दाबूँगा नन्हें-नन्हें पॉंव। […]