आखिर कहॉं खो गए हमारे नायक

आखिर कहॉं खो गए हमारे नायक

हमारे लिए कार्लाइल की इस उक्ति को शिद्दत से याद करने का समय आ गया है कि वह देश अभिशप्त है जिसे नायकों की ज़रूरत पड़ती है और वह देश उससे भी ज्यादा अभिशप्त है जिसके पास नायक नहीं हैं। हमारा दुर्भाग्य यह है कि हम इन दोनों ही अभिशप्त कोटियों में आते हैं। नायकों […]

अच्छे यौन-साहित्य का महत्व

अच्छे यौन-साहित्य का महत्व

जिस बात से हम बिच्छू के काटे जाने की भांति बिदकते हैं, वह है यौन-साहित्य। यौन-साहित्य का हिन्दी अथवा क्षेत्रीय भाषाओं में रुझान एक ऐसी समस्या है, जिस पर हमने कभी भी ध्यान नहीं दिया। यौन-साहित्य की इस रिक्तता को अपने ढंग से भरने का प्रयास जिन प्रकाशनों या लेखकों ने किया है, वे इतने […]

ईमानदारी का बन्ध्याकरण

ईमानदारी का बन्ध्याकरण

अकारण कुछ भी नहीं होता। इस बात का पता मुझे कुछ दिन पहले तब चला, जब मच्छरों को मारते-मारते हलकान होकर मैं स्वास्थ्य कर्मियों के बीच जा पहुंचा। मेरे आश्र्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, मैंने देखा कि वे मच्छरों को छोड़कर मक्खियों को मारने में व्यस्त हैं। मैंने सोचा, ये लोग मक्खियॉं मारने के मुहावरे […]

तलाश सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की

तलाश सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की

कहते हैं कि इस दुनिया में चोरों की कमी नहीं। कोई अंडा चोर, कोई मुर्गी चोर! आदमी सोचने लगता है कि पहले मुर्गी हुई थी या अंडा यानी आदमी की फितरत से भ्रष्टाचार उपजा अथवा भ्रष्टाचार ने आदमी की फितरत को बदला। यह विकास की राह भी बड़ी टेढ़ी-मेढ़ी है। आदमी जहॉं से चलता है, […]

बिसलेरी और प्रेमी

बिसलेरी और प्रेमी

हाल ही में मुझे कुतुब मीनार देखने का मौका मिला। देखनी तो पहले चाहिए थी, पर संयोग ही नहीं बना। मीनार की खूबसूरती की सराहना किये बिना कौन रह सकता है? मेरा मन भी उसे निहार कर मुग्ध होता रहा। सचमुच यह मीनार हमारी वास्तुकला का गज़ब का सबूत है। पर वहॉं जाकर आपके मन […]

थानेदार का देशप्रेम

क्यों बे, लड़कियॉं छेड़ने आया था होटल में? सिपाही ने उसे गले से पकड़ कर धक्का दिया। वह तो वैसे ही लड़खड़ा रहा था। इस धक्के से थाने के फर्श पर गिर पड़ा। फिर भी बच गया। उसका सिर मेज से छू तो गया, किन्तु उसे टकराना नहीं कह सकते। टकराता तो सिर फटता और […]

टिप्पणी – एफ एम सलीम

मौसम बदल गया है। धूप और गर्मी से हल्की-सी राहत मिल गयी है। बारिश की कुछ बूंदों ने चार महीनों से झुलस रहे तन को ही नहीं बल्कि मन को भी हल्का कर दिया है। क्योंकि बारिश का संबंध केवल तन से नहीं, मन से भी होता है। यही वो बारिश है, जो स्मृतियों को […]

जादू मेहनत का – सीताराम गुप्ता

भव्य भवन हैं ऊँचे-ऊँचे, लंबी सड़कें, बाग-बगीचे। टेलीविजन, कार, कंप्यूटर, मॉल, हाट, मेले, अप्पूघर। रॉकेट, रोबोट या मोबाइल, अणु-बिजलीघर, तारामंडल। चमत्कार वैज्ञानिक सारे, कितने अचरज भरे नजारे। यह सारा जादू है किसका, सिर्फ आदमी की मेहनत का। बुद्धि हमारी है जादूगर, हाथ हमारे ही कारीगर। मन से सोचो, बुद्धि लगाओ, दो हाथों से सब कुछ […]

दूध – प्रभा माथुर

डेयरी से मैं जाकर लाया, दूध के पैकेट पूरे चार। मॉं ने चढ़ाई बड़ी कढ़ाई, सारे दूध को लिया उबाल। एक कटोरा ठंडा करके, मॉं ने मुझे पिलाया। एक कटोरा दही जमाया, सबने मिलकर खाया। एक भगोने गरम दूध में, नींबू का रस डाला। दूध फट गया, पानी छाना, और पनीर निकाला। आधे पनीर की […]

मॉं को सलाम

कितना कोमल और सुखद अहसास है मॉं, दिल के कितने आसपास है मॉं, नख से शिख तक ममता की मूरत है मॉं, लोरी गाकर प्यार से सुलाने वाली है मॉं, चोट लगे मुझको तो रोती है मॉं, पुकारने पर भागी चली आती है मॉं, सब काम करने को तत्पर रहती है मॉं, आलस का तो […]

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